ताजा खबरें | हमारी सरकार ने संविधान मजबूत किया, कांग्रेस ने ‘खून चखने’ के बाद इसे ‘लहूलुहान’ किया: मोदी
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ‘खून चखने’ के बाद संविधान को बार-बार ‘लहूलुहान’ किया जबकि 2014 में सत्ता संभालने के बाद से उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों का उद्देश्य संविधान की दृष्टि के अनुरूप भारत की ताकत और एकता को बढ़ावा देना है।
नयी दिल्ली, 14 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ‘खून चखने’ के बाद संविधान को बार-बार ‘लहूलुहान’ किया जबकि 2014 में सत्ता संभालने के बाद से उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों का उद्देश्य संविधान की दृष्टि के अनुरूप भारत की ताकत और एकता को बढ़ावा देना है।
उन्होंने भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा को ‘असाधारण’ करार दिया और विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस दौरान 55 साल ‘एक ही परिवार’ ने राज किया, जिसने देश का संविधान छिन्न-भिन्न करते हुए आपातकाल लगाया, अदालत के ‘पंख’ काट दिए और संसद का ‘गला घोंटने’ तक का काम किया।
‘संविधान के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा’ पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए संविधान और उसकी पवित्रता व शुचिता सर्वोपरि है और यह सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है।
मोदी ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधते हुए उन पर देश की विविधता में ‘जहरीले’ बीज बोने का आरोप लगाया ताकि देश में विरोधाभासों को बल मिल सके और उसकी एकता को नुकसान पहुंचे।
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान का दुरुपयोग करना और उसकी आत्मा को नष्ट करना कांग्रेस के डीएनए का हिस्सा रहा है। हमारे लिए संविधान, इसकी पवित्रता और इसकी अखंडता का सबसे बड़ा महत्व है। ये सब सिर्फ शब्दों में नहीं है... जब-जब हमे कसौटी पर कसा गया, तब-तब पाया गया कि हम तप करके निकले हुए लोग हैं...।’’
प्रधानमंत्री ने देशवासियों के समक्ष अपने 11 संकल्प भी पेश किए, जिनमें हाशिए पर मौजूद वर्गों के लिए मौजूदा आरक्षण को बरकरार रखना लेकिन धर्म आधारित आरक्षण का कड़ा विरोध करना शामिल है।
मोदी ने कहा कि संविधान सभा ने व्यापक चर्चा के बाद धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ फैसला किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अब अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए धर्म के आधार पर आरक्षण का वादा कर रही है।
प्रधानमंत्री के 110 मिनट के भाषण के अंत में, उनके द्वारा प्रस्तावित 11 संकल्पों में परिवारवाद की राजनीति खत्म करने, शासन में भाई-भतीजावाद के बजाय योग्यता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त न करने का संकल्प भी शामिल था।
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों ने भी संविधान संशोधन किए हैं लेकिन वह देश की एकता, अखंडता और उज्ज्वल भविष्य के लिए थे।
मोदी ने कहा, ‘‘संविधान संशोधन का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि समय-समय पर वह संविधान का शिकार करती रही। संविधान की भावना को लहुलूहान करती रही।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने संविधान की भावना के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ संविधान संशोधन किए हैं।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘75 वर्ष की यह उपलब्धि असाधारण है। जब देश आजाद हुआ और उस समय भारत के लिए जो-जो संभावनाएं व्यक्त की गई थीं उन संभावनाओं को निरस्त करते हुए, परास्त करते हुए भारत का संविधान हमें यहां तक ले आया है।’’
इस महान उपलब्धि के लिए संविधान निर्माताओं के साथ-साथ देश के कोटि-कोटि नागरिकों को ‘‘आदरपूर्वक नमन’’ करते हुए मोदी ने कहा कि संविधान की ही देन है कि उन्हें लगातार तीन बार प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा का अवसर दिया।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन देश की जनता हमेशा संविधान के साथ खड़ी रही, वहीं कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान की भावना को चोट पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।
कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इस यात्रा में पचपन साल तक एक परिवार ने राज किया और इस परिवार की कुविचार, कुरीति और कुनीति की परंपरा निरंतर चल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘75 साल की इस यात्रा में 55 साल, एक ही परिवार ने राज किया है। जब भारत अपने संविधान के 25 साल मना रहा था, तब हमारे देश का संविधान छिन्न-भिन्न कर दिया गया था। आपातकाल लगा दिया गया! संवैधानिक प्रावधानों को निलंबित कर दिया गया था! देश को जेल में बदल दिया गया, नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के माथे पर ये जो पाप है, ये कभी भी धुलने वाला नहीं है! जब भी दुनिया में 'लोकतंत्र' की चर्चा होगी, कांग्रेस का यह पाप ही याद किया जाएगा...।’’
कांग्रेस पर निरंतर संविधान की अवमानना का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि प्रमुख विपक्षी पार्टी ने संविधान के महत्व को कम किया और इस संबंध में उसका इतिहास अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी द्वारा लिए गए कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि परिवार ने ‘खून का स्वाद’ चखते हुए संविधान को बार-बार घायल किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद 1952 तक अस्थायी व्यवस्था थी क्योंकि चुनाव नहीं हुए थे और अंतरिम व्यवस्था थी।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों में भी चुनाव नहीं हुए थे, जनता का कोई आदेश नहीं था और 1951 में इन्होंने अध्यादेश के जरिए संविधान को बदला और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया। यह संविधान निर्माताओं का भी अपमान था। जब संविधान सभा में उनकी कुछ न चली तो जैसे ही मौका मिला, उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर हथौड़ा मार दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहले पंडित नेहरू का अपना संविधान चलता था और इसलिए उन्होंने वरिष्ठ महानुभावों की सलाह मानी नहीं। करीब छह दशक में 75 बार संविधान बदला गया, जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया था उस बीज को खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, उनका नाम था श्रीमती इंदिरा गांधी।’’
उन्होंने कहा कि 1971 में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले को संविधान बदलकर पलट दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है...उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे।’’
उन्होंने सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और उनकी सांसद बहन प्रियंका गांधी वाद्रा का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते हुए कहा कि गांधी परिवार की अगली पीढ़ी भी उसी खेल में है।
मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि उनके जैसे नेता और कई अन्य नेता जो सामान्य परिवारों से हैं, वे वहां तक नहीं पहुंच सकते थे जहां वे पहुंचे हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने देश की एकता और अखंडता के हित में धर्म और आस्था के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देने का सोचा-समझा फैसला किया, लेकिन कांग्रेस सत्ता के लालच में और अपने वोट बैंक के तुष्टीकरण में संवैधानिक भावना का उल्लंघन करते हुए इसे आगे बढ़ाती है।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने देश को एकजुट करने के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त किया और 'एक देश एक कर' व्यवस्था को लागू करने के लिए जीएसटी लाई।
भारत को लोकतंत्र की जननी करार देते हुए मोदी ने कहा कि देश ने 2047 तक विकसित बनने का संकल्प लिया है और इस लक्ष्य को पाने के लिए इसकी एकता सबसे बड़ी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ''हमारा संविधान हमारी एकता का आधार है।’’
उन्होंने पुरुषोत्तम दास टंडन और भीमराव अंबेडकर जैसी प्रख्यात हस्तियों के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग संविधान बनाने में शामिल थे वे अच्छी तरह जानते थे कि भारत 1947 में पैदा नहीं हुआ था और न ही 1950 में लोकतांत्रिक हुआ था।
मोदी ने कहा कि हजारों सालों की परंपरा का यह परिणाम था।
मोदी ने कहा कि संविधान द्वारा महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया है और देश अब महिलाओं की अगुवाई में विकास देख रहा है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने संसद एवं राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को आरक्षण देने संबंधी विधेयक की प्रति फाड़कर, महिला आरक्षण को 40 साल के लिए धकेल दिया, वही आज उनके मार्गदर्शक बने बैठे हैं।
उन्होंने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने वाले कानून को सर्वसम्मति से पारित करने के लिए सांसदों की सराहना की।
ब्रजेन्द्र
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