नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारतीय और चीनी सैनिक उसी तरह गश्त कर सकेंगे जैसे वे मई 2020 में दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले करते थे।
पूर्वी लद्दाख में चार वर्षों से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान के लिए भारत-चीन के बीच एक समझौते पर सहमति बनने के बाद जयशंकर ने यह टिप्पणी की।
विदेश सचिव द्वारा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त पर समझौते की घोषणा के तुरंत बाद जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
इस समझौते को रूस में इस हफ्ते ब्रिक्स की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच संभावित मुलाकात से पहले पूर्वी लद्दाख में चार वर्षों से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
‘एनडीटीवी समिट’ के एक सत्र में जयशंकर ने कहा, ‘‘हम गश्त के साथ सैन्य वापसी पर एक समझौते पर सहमत हुए, जिसके तहत 2020 की स्थिति बहाल हो गई। हम कह सकते हैं कि चीन के साथ सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है; यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है और मैं कहूंगा कि यह बहुत ही संयमित और बहुत ही दृढ़ कूटनीति का नतीजा है।’’
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव पैदा हो गया। पिछले कुछ वर्षों में कई सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद दोनों पक्ष टकराव वाले कई स्थानों से पीछे हटे। हालांकि, देपसांग और डेमचोक में गतिरोध के समाधान के लिए बातचीत में बाधाएं आईं।
विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर शांति और सौहार्द दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने हमेशा कहा है कि अगर आप शांति और सौहार्द को भंग करेंगे तो बाकी रिश्ते कैसे आगे बढ़ेंगे?’’
एक सवाल पर विदेश मंत्री ने संकेत दिए कि भारत देपसांग और अन्य इलाकों में गश्त करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे बीच एक सहमति बनी है, जो न सिर्फ देपसांग में, बल्कि और भी इलाकों में गश्त की अनुमति देगी। मेरी समझ से इस सहमति के जरिये हम उन इलाकों में गश्त करने में सक्षम होंगे, जहां हम 2020 में (गतिरोध से पहले) कर रहे थे।’’
जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष गतिरोध खत्म करने के लिए सितंबर 2020 से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ हमें स्पष्ट रूप से जवाबी तैनाती करनी थी, लेकिन साथ-साथ हम बातचीत भी करते रहे। सितंबर 2020 से बातचीत कर रहे हैं, जब मैंने मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी।’’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘यह बहुत ही संयमित प्रक्रिया रही है और शायद यह ‘‘जितना हो सकती थी और होनी चाहिए थी, उससे कहीं अधिक जटिल थी।’’
उन्होंने कहा कि 2020 से पहले एलएसी पर शांति थी और ‘‘हमें उम्मीद है कि हम उस स्थिति को बहाल कर सकेंगे।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘यह हमारी प्रमुख चिंता थी, क्योंकि हमने हमेशा कहा है कि अगर आप शांति और स्थिरता में खलल डालते हैं, तो आप संबंधों के आगे बढ़ने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?’’ वार्ता की कठिन डगर पर जयशंकर ने कहा, ‘‘आप कह सकते हैं कि कई मौकों पर, लोगों ने लगभग उम्मीदें छोड़ दी थीं।’’
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