अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के वित्त पोषण पर रोक लगाने की घोषणा के बाद संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस (António Guterres) ने कहा कि अभी डब्ल्यूएचओ के संसाधनों को कम करने का समय नहीं है क्योंकि यह संस्था अभी कोविड-19 महामारी से लड़ रही है. गौरतलब है कि ट्रंप ने मंगलवार को डब्ल्यूएचओ (WHO) के वित्त पोषण पर रोक लगाने की घोषणा की और उस पर घातक कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने को लेकर ‘‘प्रबंधन में गंभीर गलती करने और जानकारी को छुपाने का आरोप लगाया है.
महामारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने डब्ल्यूएचओ के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि अब पीछे मुड़कर देखने का समय नहीं है और इस पर विचार करें कि इस संकट से निकलने के लिए सभी लोगों को क्या करना चाहिए. गुतारेस ने मंगलवार को कहा, "जैसा कि यह समय ठीक नहीं है, यह समय वायरस से निपटने में लगे विश्व स्वास्थ्य संगठन या किसी अन्य मानवीय संगठन के अभियानों के लिए संसाधनों को कम करने का भी नहीं है."
उन्होंने कहा कि यह समय एकजुटता का है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह समय इस वायरस और इसके विनाशकारी परिणामों को रोकने के लिए एकजुटता के साथ मिलकर काम करने का है. अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में पहली बार उभरा कोरोना वायरस अब तक दुनियाभर के 19.7 लाख लोगों को संक्रमित कर चुका है और कम से कम 1,26,500 लोगों की जान ले चुका है.
अकेले अमेरिका में 25,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. ट्रंप प्रशासन ने डब्ल्यूएचओ पर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगाया है. जिसकी वजह से अमेरिका की अर्थव्यवस्था में ठहराव आ गया है. ट्रंप ने महामारी को लेकर व्हाइट हाउस में अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, "जब तक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने व इससे निपटने में गंभीर कुप्रबंधन और इसे छुपाने में संस्था की भूमिका का आकलन करने के लिए समीक्षा की जा रही है, तब तक मैं अपने प्रशासन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के वित्त पोषण को रोकने का निर्देश दे रहा हूं, . हर कोई जानता है कि वहां क्या हुआ है."
राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका के करदाता डब्ल्यूएचओ को सालाना 40 से 50 करोड़ डॉलर देते हैं. जबकि चीन सालाना तकरीबन 4 करोड़ डॉलर या उससे भी कम राशि देता है. ट्रंप का कहना है कि कोरोना के प्रकोप में अपना कर्तव्य निभाने में डब्ल्यूएचओ पूरी तरह नाकाम हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि चीन में जब यह वायरस फैला तो संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने उसे छुपाने की कोशिश की और इसके लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
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