नयी दिल्ली, 29 नवंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केरल के नामित राष्ट्रीय भू-विरासत स्थल वर्कला टीले की बिगड़ती स्थिति से जुड़े मामले में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है।
एनजीटी मीडिया में आई एक खबर पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि पर्यावरण उल्लंघनों और प्रशासनिक अनदेखी के कारण तिरुवनंतपुरम जिले में वर्कला टीले की हालत बिगड़ रही है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने कहा, “खबर में बताया गया है कि सबसे खतरनाक उल्लंघन, संभवत: भूस्खलन को रोकने के लिए टीले के हिस्से को ध्वस्त करना था। साथ ही यह भी कहा गया है कि जीएसआई ने टीले के भूवैज्ञानिक महत्व को देखते हुए हिस्से को ध्वस्त किए जाने को चौंकाने वाला बताया है।”
पीठ ने 22 नवंबर को टीले के किनारे रिसॉर्ट, रेस्तरां, पार्किंग स्थल और एक हेलीपैड जैसे व्यापक अनधिकृत निर्माण से जुड़ी रिपोर्ट पर गौर किया।
पीठ ने कहा, “खबर में कहा गया है कि इन निर्माण से न केवल टीले की विरासत स्थिति का उल्लंघन हुआ है, बल्कि इसकी संरचनात्मक स्थिति पर भी सीधे तौर पर खतरा मंडराने लगा है। निर्माण गतिविधियों से विशेष रूप से टीले की महत्वपूर्ण ऊपरी परत ‘लेटराइट’ को नुकसान हुआ है।”
एनजीटी ने जीएसआई और राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान केंद्र के निदेशकों, तिरुवनंतपुरम के जिला मजिस्ट्रेट और केरल तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण, केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिवों को मामले में प्रतिवादी के तौर पर शामिल किया है।
पीठ ने कहा, “उपरोक्त प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए, जिन्हें सुनवाई की अगली तारीख (10 जनवरी) से कम से कम एक सप्ताह पहले एनजीटी की (चेन्नई) दक्षिणी क्षेत्रीय पीठ के समक्ष हलफनामे के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया/उत्तर दाखिल करने होंगे।”
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