ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर अगली सुनवाई 12 सितंबर को

प्रयागराज, 28 अगस्त: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर सुनवाई सोमवार को टाल दी. अदालत अब इस मामले में 12 सितंबर को सुनवाई करेगी. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर की अदालत में जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई, तो अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने इस बात का उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कमेटी का कहना था कि चूंकि दोनों पक्षों के वकीलों ने लंबी बहस की, इसलिए उस पीठ द्वारा निर्णय दिया जाना चाहिए था. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उच्च न्यायालय के नियमों के मुताबिक, जब किसी मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद भी निर्णय नहीं दिया जाता है तो मुख्य न्यायाधीश के पास उस मामले को किसी अन्य पीठ के पास भेजने या स्वयं उस पर सुनवाई करने का अधिकार है.

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मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 15 मार्च, 2021 से इस मामले में कई बार निर्णय सुरक्षित रखा गया, लेकिन निर्णय सुनाया नहीं गया. इस पर, अंजुमन इंतेजामिया के वकील ने इस मामले का नए सिरे से अध्ययन करने के लिए समय दिए जाने और इस मामले में सुनवाई टालने का अनुरोध किया जिस पर अदालत द्वारा 12 सितंबर की तारीख तय की गई. सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश ने मीडिया रिपोर्टिंग पर टिप्पणी की और कहा कि जब वह ज्ञानवापी मस्जिद के बैरिकेड वाले क्षेत्र के ASI सर्वेक्षण से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे तो हिंदी के कुछ समाचार पत्र उन बहसों को रिपोर्ट किया करते थे जो इस अदालत के समक्ष की ही नहीं गयी. इससे पूर्व, 25 जुलाई, 2023 को न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था और निर्णय सुनाने के लिए 28 अगस्त की तिथि तय की थी.

वाराणसी की अदालत में दायर वाद की पोषणीयता को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। मूल वाद में उस जगह पर मंदिर बहाल करने की मांग की गई है जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है. इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का एक समग्र सर्वेक्षण करने के वाराणसी की अदालत के निर्देश को भी चुनौती दी गई है. वाराणसी की अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को यह सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था. यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने 28 नवंबर, 2022 को दोनों पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था. हालांकि, 24 मई, 2023 को इस मामले को आगे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा कि उक्त मामले में निर्णय लिखाते समय प्रतीत हुआ कि दोनों पक्षों के वकीलों से कुछ और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है.

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