नयी दिल्ली, 15 मई दिल्ली की एक अदालत ने समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक एवं प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को बुधवार को निर्देश दिया कि वे मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं करेंगे या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे।
प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ आरोप है कि न्यूजक्लिक को चीन समर्थक दुष्प्रचार के लिए कथित तौर पर धन मिला था।
उच्चतम न्यायालय ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामले में पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को बुधवार को ‘कानून की नजर में अवैध’ करार दिया और उन्हें हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) हरदीप कौर ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में पुरकायस्थ की रिहाई का आदेश जारी करते हुए यह शर्त लगाई।
एएसजे ने आरोपी को आतंकवाद रोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में एक लाख रुपये का निजी मुचलका भरने और इतनी ही राशि की दो जमानत राशि जमा कराने का निर्देश दिया।
उन्हें दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।
न्यायाधीश ने पुरकायस्थ को निर्देश दिया कि वह मामले में किसी भी गवाह या सरकारी गवाह अमित चक्रवर्ती से संपर्क न करें।
समाचार पोर्टल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, उसे कथित तौर पर 'भारत की संप्रभुता को बाधित करने' और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए चीन से धन मिला था।
प्राथमिकी में यह भी आरोप है कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया में व्यवधान पहुंचाने के लिए 'पीपल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म' (पीएडीएस) नामक समूह के साथ साजिश रची थी।
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