नूंह (हरियाणा), पांच अगस्त हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा का नुकसान उठाने वाले हिंदू और मुसलमानों का दावा है कि इस क्षेत्र में 1992 के बाद से इतने बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक झड़पें नहीं देखी गईं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पार्टी हिंसा भड़काने के लिए या तो हिंदू अधिकार समूह या स्थानीय मुस्लिम नेताओं को जिम्मेदार ठहरा रही है।
इस हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी और कई दुकानों को आग लगा दी गई थी।
जलाभिषेक यात्रा का आयोजन करने वाली विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का दावा है कि हंगामा कुछ ‘‘राष्ट्र-विरोधी लोगों’’ ने किया था और उन्होंने यात्रा में बाधा पहुंचाई थी।
विहिप के एक वरिष्ठ सदस्य ने आरोप लगाया कि स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने लोगों को अशांति पैदा करने के लिए उकसाया।
दूसरी ओर, एक स्थानीय निवासी श्रीकिशन ने हिंसा भड़काने के लिए प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए शुरुआत में बहुत कम पुलिसकर्मी थे।
श्रीकिशन ने कहा, ‘‘धार्मिक यात्रा में शामिल होने वालों ने झड़प होने से कुछ घंटे पहले उत्तेजित भाषण दिए थे। मौके पर कम पुलिसकर्मी थे। प्रशासन और पुलिस बहुत बाद में हरकत में आई, तब तक हिंसा शुरू हो चुकी थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं 65 साल का हूं और मैंने 1992 के बाद ऐसी हिंसा नहीं देखी है।’’
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया कि यह हिंसा स्थानीय मुस्लिम नेताओं के उकसावे पर हुई थी।
बंसल ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘यह हिंदू-मुस्लिम का मसला नहीं है। आपराधिक मानसिकता वाले कुछ राष्ट्र-विरोधी लोग हमारे समुदाय को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने अशांति फैलाई।’’
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