काठमांडू, 11 दिसंबर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में ‘महाकुंभ 2025’ को बढ़ावा देने और दोनों पड़ोसी देशों के बीच पर्यटन संबंधों को मजबूत करने के लिए काठमांडू में पहली नेपाल-भारत पर्यटन बैठक आयोजित की गई, जिसमें अधिकारियों ने इस क्षेत्र की क्षमता का पूरा लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम मंगलवार को नेपाल पर्यटन बोर्ड (एनटीबी) और काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इसमें उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ को बढ़ावा देने और नेपाल एवं भारत के बीच ‘सर्किट पर्यटन’ (एक ही मार्ग पर कम से कम तीन प्रमुख पर्यटन स्थल हों जो एक ही कस्बे, गांव या शहर में नहीं हों और एक दूसरे से अधिक दूरी पर भी नहीं हों) के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) संबंध बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ अगले साल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होगा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए पर्यटन राज्य मंत्री अरुण कुमार चौधरी ने कहा कि विशेष रूप से स्थल मार्ग के जरिए सीमा पार पर्यटन, नेपाल में पर्यटन में बड़ा योगदान देता है। हालांकि इसे औपचारिक आंकड़ों में दर्ज नहीं किया जाता है।
उन्होंने सलाह दी कि दोनों पक्षों को विशेष रूप से सुंदरपश्चिम प्रांत जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सीमा पार संपर्क पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
भारतीय दूतावास में मिशन के उप प्रमुख प्रसन्न श्रीवास्तव ने भारत-नेपाल पर्यटन क्षमता का पूर्ण लाभ उठाने के लिए दोनों पक्षों द्वारा संयुक्त प्रयास किए जाने पर बल दिया, जिसमें नेपाल एवं निकटवर्ती भारतीय राज्यों को शामिल करते हुए ‘धार्मिक और सांस्कृतिक सर्किट’ भी शामिल हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)