नयी दिल्ली, 6 अप्रैल : स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो ‘‘डार्कनेट’’ और ‘‘क्रिप्टोकरेंसी’’ का इस्तेमाल कर कई देशों के साथ ही भारत के कई राज्यों में मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल था. सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि देश में मादक पदाथों की तस्करी को खत्म करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के तहत, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की निगरानी में ब्यूरो अभियान चला रहा है. सूत्रों ने बताया कि इस गिरोह के तार अमेरिका, नीदरलैंड और कनाडा के साथ ही भारत में पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और असम राज्यों से भी जुड़े थे.
उन्होंने कहा कि अपनी तरह के पहले अभियान में इस गिरोह का भंडाफोड़ किया गया और इसमें ‘‘डार्कनेट’’ के साथ ही तस्करों द्वारा चलाए जा रहे सोशल मीडिया और होम डिलीवरी नेटवर्क पर का पता लगाया गया. सूत्रों के अनुसार मादक पदार्थों की तस्करी में ‘‘डार्कनेट, क्रिप्टोकरेंसी, डिजिटल मीडिया, यूपीआई और नकली केवाईसी’’ दस्तावेजों के साथ-साथ डाक और कूरियर सेवाओं का उपयोग भी शामिल है. 11 महीने से अधिक समय तक चलाए गए इस अभियान के दौरान 47 मामले दर्ज किए गए, वहीं 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया. 2021-22 में एनसीबी द्वारा विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों के साथ ही नकदी जब्त की गई. उन्होंने कहा कि इस अभियान की एक खास बात विदेशी अधिकारियों के साथ समन्वय के साथ ही एनसीबी और राज्य पुलिस बलों की विभिन्न क्षेत्रीय इकाइयों के बीच बेहतरीन तालमेल थी. यह भी पढ़ें : Cyber Swachhta Kendra Fact Check: भारत सरकार ने लॉन्च किया साइबर स्वच्छता केंद्र? फैक्ट चेक के जरिए जानें क्या है सच
गहरे पानी से महत्वपूर्ण साक्ष्य हासिल करने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के गोताखोरों का भी इस्तेमाल किया गया था. सूत्रों ने कहा कि बेहतरीन जांच के लिए एनसीबी के तीन अधिकारियों को केंद्रीय गृह मंत्री पदक से सम्मानित किया गया. एनसीबी ने लुधियाना में एक गिरोह का भंडाफोड़ किया जिसके तार दुबई, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़े हुए थे. इस मामले में 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया. सूत्रों के अनुसार दो प्रयोगशालाओं का भी पता लगाया गया जिनमें हेरोइन प्रसंस्करण किया जाता था. हेरोइन की तस्करी के लिए इस गिरोह द्वारा मुंद्रा बंदरगाह के जरिए समुद्री मार्ग, अटारी-वाघा सीमा के जरिए स्थल मार्ग और अंतरराष्ट्रीय सीमा का उपयोग किया जाता था.