
नयी दिल्ली, एक अगस्त सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों का शीर्ष संगठन नैसकॉम बृहस्पतिवार को इन्फोसिस के समर्थन में खुलकर सामने आया। उसने इन्फोसिस को 32,403 करोड़ रुपये का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) नोटिस भेजे जाने पर कहा कि यह कदम उद्योग के परिचालन मॉडल से जुड़ी समझ की कमी को दर्शाता है।
सॉफ्टवेयर एवं सेवा कंपनियों के संगठन नैसकॉम ने बयान में इन्फोसिस का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘320 अरब रुपये से अधिक की जीएसटी मांग की हालिया मीडिया रिपोर्ट उद्योग के परिचालन मॉडल के बारे में समझ की कमी को दर्शाती है।’’
जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 2017 से शुरू होने वाले पांच वर्षों के लिए इन्फोसिस को अपनी विदेशी शाखाओं से मिली सेवाओं के एवज में 32,403 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा है।
हालांकि, दिग्गज आईटी कंपनी ने इसे ‘पूर्व-कारण बताओ’ नोटिस बताते हुए कहा है कि उसके हिसाब से इन खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होता है।
इस संदर्भ में नैसकॉम पर इसपर जोर दिया है कि अनुपालन दायित्वों का कई व्याख्याओं के अधीन न होना अहम है।
इसके साथ ही नैसकॉम ने इस बात पर अफसोस जताया कि कई कंपनियां निवेशकों और ग्राहकों की ओर से टाले जा सकने वाले मुकदमे, अनिश्चितता और चिंताओं का सामना कर रही हैं।
उद्योग निकाय ने कहा कि सेवा निर्यात में तेजी लाना ‘विकसित भारत’ की महत्वाकांक्षा और भारत में वैश्विक तकनीकी निवेश आकर्षित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
उसने कहा, ‘‘इसके लिए एक मददगार नीतिगत परिवेश और कारोबारी सुगमता की जरूरत है। जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर जारी होने वाले सरकारी परिपत्रों को प्रवर्तन व्यवस्था में सम्मान दिया जाना चाहिए ताकि नोटिस अनिश्चितता पैदा न करें और भारत की कारोबारी सुगमता पर नकारात्मक असर न पड़े।’’
बेंगलुरु मुख्यालय वाली कंपनी इन्फोसिस ने बुधवार को कहा था कि कर्नाटक राज्य जीएसटी अधिकारियों ने उसके विदेशी शाखा कार्यालयों द्वारा किए गए खर्चों पर जुलाई, 2017 से मार्च, 2022 की अवधि के लिए 32,403 करोड़ रुपये के जीएसटी भुगतान का नोटिस जारी किया है।
कंपनी ने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया है। कंपनी को इसी मामले पर जीएसटी आसूचना के महानिदेशक से भी कारण बताओ नोटिस मिला है और कंपनी इसका जवाब देने की प्रक्रिया में है।
कंपनी ने दलील दी है कि नियमों के हिसाब से विदेशी शाखा वाली इकाइयों के खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होता है।
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