श्रीनगर, 29 नवंबर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण संबंधी अदालतों के हालिया आदेशों पर शुक्रवार को चिंता व्यक्त की और मुस्लिम विरासत तथा उनके अधिकारों की सुरक्षा की मांग की।
यहां जामिया मस्जिद में शुक्रवार को आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कश्मीर के मीरवाइज (मुख्य धर्मगुरु) फारूक ने उत्तर प्रदेश के संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों में चार युवकों की मौत की निंदा की।
उन्होंने कहा, ‘‘भेदभावपूर्ण पुलिस कार्रवाई में इन युवाओं की मौत अत्यंत दुखद एवं निंदनीय है।’’
मीरवाइज ने दावा किया कि राजस्थान में अजमेर की एक अदालत ने अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण का आदेश दिया है।
दरअसल अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने दरगाह के स्थान पर पूर्व में मंदिर होने संबंधी याचिका दाखिल होने के बाद दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किए हैं।
मीरवाइज ने कहा, ‘‘इससे पहले अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। ऐसा लगता है कि यह एक प्रकार का चलन बन रहा है कि पहले संदेह जताया जाता है, फिर अदालत सर्वेक्षण का आदेश देती है और फिर बहुसंख्यकों के दावों को संतुष्ट किया जाता है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ बाबरी मस्जिद का मुद्दा... मुसलमानों के दिमाग में ताजा है।’’
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह न केवल भारत और कश्मीर बल्कि उपमहाद्वीप और विश्व भर के मुसलमानों के लिए अत्यंत परेशान करने वाला और गंभीर मुद्दा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यदि संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भारत पंथ निरपेक्ष देश है तथा संविधान से संचालित है जिसमें पूजा स्थल अधिनियम भी आता है तो फिर ऐसे मुद्दों को लगातार क्यों उठाया जा रहा है?’’
वक्फ (संशोधन) विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों के लिए चिंताजनक मामला है और इसलिए मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा (धार्मिक संगठनों का एक समूह) ने इस मुद्दे पर गौर कर रही संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल को एक पत्र भेजकर उनसे मुलाकात का वक्त मांगा है।
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