देश की खबरें | आशा के दूत: सेना का ‘ऑपरेशन सद्भावना’ अरुणाचल के सुदूर गांवों में बदलाव ला रहा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. अरुणाचल प्रदेश के सुदूर गांवों में जहां स्थानीय जनजातीय लोग कभी सशस्त्र बलों से भयभीत रहते थे, अब वहां भारतीय सेना अपने परोपकारी प्रयासों के कारण आशा और विश्वास का पर्याय बन गई है।

बेने, 29 नवंबर अरुणाचल प्रदेश के सुदूर गांवों में जहां स्थानीय जनजातीय लोग कभी सशस्त्र बलों से भयभीत रहते थे, अब वहां भारतीय सेना अपने परोपकारी प्रयासों के कारण आशा और विश्वास का पर्याय बन गई है।

‘ऑपरेशन सद्भावना’ के तहत सेना स्कूलों के निर्माण, स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने, खेल अवसंरचना विकसित करने और स्थानीय लोगों की चिंताओं को दूर करने से लेकर न केवल सीमाओं की सुरक्षा कर रही है, बल्कि लोगों के कल्याण के लिए भी काम कर रही है और उनके दैनिक जीवन के संघर्षों को आसान बना रही है।

राजधानी ईटानगर से 300 किलोमीटर से अधिक दूर राज्य के पश्चिमी सियांग जिले के बेने गांव में सेना ने वहां पढ़ने वाले 50 बच्चों की सुरक्षा के लिए एक सरकारी स्कूल के चारों ओर बाड़ लगाई है।

सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य टुमटो एटे ने कहा, ‘‘हमें सेना से लगातार सहयोग मिलता है। सेना ने हाल में स्कूल के चारों ओर बाड़ लगा दी। हमने उससे हमारे स्कूल को गोद लेने का आग्रह किया है।’’

प्रधानाचार्य ने बताया कि स्कूल में आठ कमरे, स्मार्ट क्लासरूम और पूर्व छात्रों का एक संघ है।

इसी तरह, सेना की पूर्वी कमान ने स्थानीय ग्रामीणों के अनुरोध पर जिले के निकटवर्ती दारका गांव में एक सामुदायिक केंद्र का निर्माण किया, सरकारी स्कूलों को झूले भेंट किए तथा उनमें से एक के चारों ओर बाड़ लगाई।

दारका गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक मोबी एटे ने कहा, ‘‘सेना ने छात्रों के लिए झूले, फिसलपट्टी और अन्य उपकरण दिए हैं। हमने उनसे स्कूल भवन की छत की मरम्मत करने को भी कहा है।’’

सेना के एक अधिकारी ने बताया कि दारका की दोजी बस्ती में एक पुल का निर्माण किया गया है, जबकि एक अन्य गांव में कम्पोस्ट उर्वरक मशीन स्थापित की गई है।

सुदूर वाक गांव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सेना ने एकमात्र ‘होमस्टे’ मालिक के लिए 15 दिवसीय आतिथ्य प्रमाणपत्र कार्यक्रम आयोजित किया।

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