जरुरी जानकारी | चिकित्सा प्रौद्योगिकी उद्योग का निर्यात 2030 तक 20 अरब डॉलर तक होने का अनुमान: सीआईआई

नयी दिल्ली, 29 नवंबर देश में चिकित्सा प्रौद्योगिकी उद्योग का निर्यात 2030 तक 20 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, इस क्षेत्र को निर्यात में तेजी लाने के लिए अधिक सरकारी प्रोत्साहन और कारोबारी सुगमता की आवश्यकता है। उद्योग मंडल सीआईआई ने शुक्रवार को यह कहा।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के राष्ट्रीय चिकित्सा प्रौद्योगिकी मंच के अध्यक्ष हिमांशु बैद ने यहां संवाददाताओं से कहा कि चिकित्सा प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना फिलहाल चुनिंदा चिकित्सा उपकरणों के लिए उपलब्ध है। इसके दायरे में सभी उत्पादों को लाने की आवश्यकता है, जबकि विनिर्माताओं को ‘छिपी लागत’ को पूरा करने के लिए निर्यात प्रोत्साहन प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “आज हम देश में जरूरत के हिसाब से लगभग 60 से 70 प्रतिशत मेडिकल उपकरण आयात कर रहे हैं। जबकि, हमारा विनिर्माण अभी भी बहुत कम है क्योंकि लगभग 30 प्रतिशत उपकरण देश में ही बनते हैं। हमारा आयात हमारे निर्यात से कहीं ज्यादा है। हमारा आयात लगभग आठ अरब डॉलर है और हमारा निर्यात चार अरब डॉलर के करीब है।”

हालांकि, बैद ने कहा कि भारत में इस उद्योग को अगले स्तर तक बढ़ाने की सबसे अच्छी क्षमता है तथा वह एक विशेष देश पर आयात निर्भरता कम करने के लिए विश्व द्वारा अपनाई जा रही ‘चीन प्लस वन’ रणनीति का लाभ उठा सकता है।

सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और चीन की तुलना में कम लागत वाले श्रम के मामले में भारत में उपलब्ध प्रतिभा के आधार पर देश इसका लाभ उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारतीय चिकित्सा प्रौद्योगिकी उद्योग की निर्यात क्षमता पर उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि 2030 तक भारत का निर्यात लगभग 15 अरब डॉलर से 20 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है और हमारा आयात आठ अरब डॉलर से घटकर तीन से चार अरब डॉलर रह जाएगा।”

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