देश की खबरें | एमसीडी के सफाई कर्मी विरोध के नाम पर 'गुंडागर्दी' नहीं कर सकते : अदालत की चेतावनी

नयी दिल्ली, आठ अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि एमसीडी सफाई कर्मचारियों और यूनियनों को वेतन का भुगतान नहीं होने के खिलाफ विरोध करने का अधिकार है, लेकिन वे सड़कों पर कूड़ा फेंक कर तथा कर्मचारियों को काम करने से रोक कर हंगामा या 'गुंडागर्दी' नहीं कर सकते हैं।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी यूनियन नेताओं और सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी संघ के नेताओं ने हड़ताल का आह्वान किया था और वे अदालत के समक्ष पेश हुए। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे भविष्य में ऐसा कोई आचरण नहीं करेंगे।

अदालत ने कहा कि यूनियन के अध्यक्ष और सचिव पेश हुए हैं, इसलिए वह उनके खिलाफ पहले जारी किए गए जमानती वारंट को आगे नहीं बढ़ाना चाहता। पीठ ने कहा कि कर्मचारी कानून द्वारा दिए गए अपने अधिकारों का प्रयोग करने के हकदार हैं लेकिन उन्हें उपद्रव करने और सड़कों पर कूड़ा फेंक कर कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है।

उच्च न्यायालय ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) की उस याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि काम करने के इच्छुक उसके कर्मियों को काम करने में कोई रुकावट नहीं हो।

ईडीएमसी के स्थायी वकील मनु चतुर्वेदी ने बृहस्पतिवार को अदालत को सूचित किया कि कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए निगम द्वारा ज़ोनल और मुख्यालय स्तर पर स्थायी शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत के चार मार्च के आदेश के बाद यूनियनों द्वारा हड़ताल या विरोध प्रदर्शनों का आयोजन नहीं किया गया है।

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