लखनऊ, 20 सितंबर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने बुधवार को सरकार से महिला आरक्षण विधेयक को जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया से अलग करने का आग्रह किया, क्योंकि ऐसा नहीं होने पर इसके क्रियान्वयन में कई वर्षों तक "देरी" होगी।
मायावती ने सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि महिला आरक्षण "तत्काल" लागू हो जाए। उन्होंने कहा कि विधेयक के कुछ प्रावधानों को इस तरह से तैयार किया गया है कि आरक्षण का लाभ अगले 15 या 16 वर्षों तक या बाद के "कई चुनावों" तक महिलाओं तक नहीं पहुंच पाएगा।
सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया।
विधेयक को पहले ही समर्थन दे चुकीं बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने कहा, ‘‘इस संशोधन विधेयक के तहत इस महिला आरक्षण विधेयक पास होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना करायी जाएगी। यह विधेयक पारित तो हो जाएगा लेकिन तुरंत लागू नहीं होगा। जब यह जनगणना पूरी हो जाएगी तो उसके पश्चात ही पूरे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का परिसीमन पूरा कराया जाएगा। उसके बाद ही महिला आरक्षण संबंधी संशोधन विधेयक लागू होगा।’’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसका मतलब है कि इसे तुरंत लागू नहीं किया जाएगा।’’
बसपा नेता ने कहा, ‘‘यह बात किसी से छिपी नहीं हैं कि देश भर में नये सिरे से जनगणना कराने में अनेकों वर्ष लग जाते हैं। पिछली जनगणना वर्ष 2011 में प्रकाशित हुई थी। जिसके पश्चात आज तक पुन: जनगणना नहीं हो सकी। ऐसी स्थिति में संविधान संशोधन के तहत इस नयी जनगणना में अनेकों वर्ष लग जायेंगे। तब फिर उसके बाद ही पूरे देश में परिसीमन का कार्य शुरू किया जाएगा, जिसमें भी अनेकों वर्ष लग जायेंगे। इस परिसीमन के पश्चात ही यह महिला आरक्षण विधेयक लागू होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जबकि 128 वें संशोधन विधेयक की सीमा ही पन्द्रह वर्ष रखी गयी है। इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि यह संशोधन विधेयक वास्तव में महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नियत से नहीं लाया गया हैं।’’
उन्होंने कहा कि यह विधेयक आने वाली विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में देश की भोली भाली महिलाओं को यह प्रलोभन देकर और उनकी आंखों में धूल झोंक कर उनका वोट हासिल करने की नियत से ही लाया गया है। इसके सिवा कुछ भी नहीं है। जैसा कि इसे लागू करने की शर्ते रखी गयी है।’’
मायावती ने कहा, ‘‘यदि ऐसा नहीं है तो फिर हमारी पार्टी सरकार से यह भी अनुरोध करती है कि सरकार इस विधेयक में से या तो इन दोनों प्रावधानों को निकाले या फिर कुछ ऐसे उपाय तलाशे कि इस विधेयक के जरिये महिलाओं को आरक्षण का लाभ जल्दी मिले।
कोटा के भीतर कोटा की अपनी मांग पर जोर देते हुए, मायावती ने कहा, ‘‘मैं 33 प्रतिशत आरक्षण में अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिलाओं के लिए एक अलग कोटा की फिर से अपील करती हूं। इसी तरह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) महिलाओं का कोटा भी तय किया जाना चाहिए क्योंकि वे सामान्य वर्ग की महिलाओं की तुलना में अभी भी पिछड़ी हुई हैं।’’
हालांकि, उन्होंने दोहराया कि उनकी पार्टी विधेयक को समर्थन देगी, भले ही इसकी शर्तें स्वीकार नहीं की गईं। उन्होंने कहा कि "उनका मानना है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में पिछड़ी हुई हैं।"
सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाला एक संवैधानिक संशोधन विधेयक मंगलवार को संसद के निचले सदन में पेश किया। इसे 'नारी शक्ति वंदन विधेयक' कहा गया है।
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