महाराष्ट्र: मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लॉकडाउन को लेकर कहा- केवल आर्थिक चिंताओं के कारण नहीं हटाया जाएगा बंद
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि वह राज्य में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन को केवल आर्थिक चिंताओं के कारण पूरी तरह से हटाने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी से पैदा हुई चुनौती पर विचार करते हुए स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है.
मुंबई, 25 जुलाई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने शनिवार को कहा कि वह राज्य में कोरोना वायरस (Coronavirus) को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन को केवल आर्थिक चिंताओं के कारण पूरी तरह से हटाने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी से पैदा हुई चुनौती पर विचार करते हुए स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मैं कभी नहीं कहूंगा कि लॉकडाउन को पूरी तरह से हटाया जाएगा. लेकिन मैंने कुछ चीजों को धीरे-धीरे फिर से खोलना शुरू कर दिया है. एक बार फिर से खुलने पर इसे दोबारा बंद नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए मैं चरणबद्ध तरीके से कदम उठाना चाहता हूं. आप सिर्फ अर्थव्यवस्था या स्वास्थ्य के बारे में ही नहीं सोच सकते. दोनों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है."
ठाकरे ने शनिवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक साक्षात्कार में यह बयान दिया. राज्य में लागू लॉकडाउन 31 जुलाई तक चलेगा. जून के बाद से सरकार ने अपनी 'मिशन बिगिन अगेन' पहल के तहत चरणबद्ध तरीके से पाबंदियां हटानी शुरू कर दी थीं. मुख्यमंत्री ने कहा, "यह महामारी एक वैश्विक युद्ध है. इसने पूरी दुनिया पर असर डाला है. जिन देशों ने यह सोचकर जल्दबाजी में लॉकडाउन हटा दिया था कि यह बीमारी खत्म हो गई है वे इसे फैलने से रोकने के लिए फिर से पाबंदियां लगाने पर मजबूर हैं. ऑस्ट्रेलिया में उन्हें सेना की सहायता लेनी पड़ी."
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उन्होंने कहा, "कई लोग लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है. ऐसे लोगों से मैं कहना चाहूंगा कि मैं लॉकडाउन हटाने के लिए तैयार हूं लेकिन अगर इसकी वजह से लोगों की मौत हुई तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे? हम भी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हैं." मुंबई में उपनगरीय रेल सेवाएं बहाल करने पर ठाकरे ने कहा, "क्या होगा अगर परिवार बीमार पड़ने लगे और उनके मकानों को सील कर दिया जाए? इसलिए हर चीज चरणबद्ध तरीके से होगी."
अपनी सरकार के छह माह पूरे होने पर ठाकरे ने कहा कि वह कुछ निर्दलियों के समर्थन वाली तीन दलों के गठबंधन की सरकार चला रहे हैं. उन्होंने कहा, "यह केवल ठाकरे सरकार नहीं है बल्कि हर किसी की सरकार है खासतौर से राज्य के निवासियों की जिन्होंने इस प्रयोग को स्वीकार किया." ठाकरे ने कहा कि छह महीने का कार्यकाल कोरोना वायरस वैश्विक महामारी और निसर्ग चक्रवात जैसी चुनौतियों से भरा रहा. उन्होंने कहा, "मैं राजनीतिक चुनौतियों की परवाह नहीं करता. लोगों का मुझ पर भरोसा है."
मुंबई में कोविड-19 की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, "मुंबई में सेना बुलाने की कभी जरूरत नहीं पड़ी. मुझे ऐसे प्रशासन पर गर्व है जिसने इस चुनौती का सामना किया और शहर में कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए अस्थायी अस्पताल बनाए." महामारी के दौरान मंत्रालय, राज्य सचिवालय न जाने को लेकर हुई आलोचना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक से लोगों को सभी काम करने में मदद मिली और कहीं आने-जाने की कोई जरूरत नहीं है. कोविड-19 महामारी के दौरान अकादमिक वर्ष की शुरुआत पर ठाकरे ने कहा कि ई-लर्निंग ही एकमात्र विकल्प है.
विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस के हाल के दिल्ली दौरे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस के हालात का जायजा लेने के लिए गए होंगे. मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायकों के 'पीएम केयर्स फंड' में दान देने और मुख्यमंत्री राहत कोष में दान न देने का जिक्र करते हुए कहा, "वह दिल्ली जाते हैं और महाराष्ट्र में कोविड-19 की स्थिति के बारे में बात करते है क्योंकि उन्होंने अपनी विधायक निधि दिल्ली में दी है."
उन्होंने कहा, "हाल ही में एक सर्वेक्षण में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को देश में सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री बताया गया. इससे कई लोगों के पेट में दर्द हो गया है." ठाकरे ने उन आलोचनाओं को भी खारिज कर दिया कि उनकी सरकार ने कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या को छिपाया. उन्होंने कहा, "डब्ल्यूएचओ और वाशिंगटन पोस्ट ने राज्य सरकार की कोशिशों की सराहना की है."
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