देश की खबरें | भूमि विवाद मामला: न्यायालय ने पटवारी के खिलाफ प्राथमिकी के उच्च न्यायालय के आदेश पर लगाई रोक

नयी दिल्ली, 15 मई उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सतना जिलाधिकारी को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री की जमीन के स्वामित्व पर फर्जी रिपोर्ट देने के लिए एक पटवारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया और पक्षों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

शीर्ष अदालत मप्र उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले पटवारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सतना के जिलाधिकारी को उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया था।

पीठ ने कहा, “नोटिस जारी करें। इस बीच, सतना के जिलाधिकारी को संबंधित पटवारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है।”

पटवारी ओम नारायण गौतम की ओर से पेश वकील अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि उच्च न्यायालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान किए बिना प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के बेटे की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर रीवा के रामपुर बाघेलान स्थित जमीन पर पैतृक कब्जा होने का दावा किया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था, “पटवारी कोई भगवान नहीं है। वह ग्रामीण समाज में एक देवता की तरह हो सकता है लेकिन, वह कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं कर सकता। संबंधित पटवारी द्वारा याचिकाकर्ताओं अशोक सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे) और अन्य का कब्जा दर्ज करने के लिए कुछ आधार होना चाहिए। लेकिन ऐसी कोई भी सामग्री रिकॉर्ड में नहीं लाई गई है। अशोक सिंह और अन्य का कब्जा दिखाने के लिए कोई राजस्व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया है।”

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