देश की खबरें | केरल: घरेलू हिंसा मामले में पीड़िता ने पति पर फिर से शारीरिक शोषण का आरोप लगाया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. सनसनीखेज पंथीरंकावु घरेलू हिंसा मामले में पीड़िता ने अब एक बार फिर अपने पति पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
कोझिकोड (केरल), 26 नवंबर सनसनीखेज पंथीरंकावु घरेलू हिंसा मामले में पीड़िता ने अब एक बार फिर अपने पति पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
इस संबंध में दर्ज मामले को रद्द करने के अनुरोध वाली उसके और उसके पति की संयुक्त याचिका पर केरल उच्च न्यायालय ने मामला रद्द करने की अनुमति दी थी।
पुलिस ने बताया कि महिला को उसके पति ने चेहरे पर चोट के कारण सोमवार शाम मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, महिला ने शुरू में अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया था।
अधिकारी ने बताया कि इसके बाद मंगलवार को उसने शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया और उसका बयान दर्ज किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि महिला के पति को पुलिस हिरासत में रखा गया है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘महिला के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।’’
महिला ने इस वर्ष जून में दावा किया था कि उसके पति के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप मनगढ़ंत और झूठे हैं।
सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए एक वीडियो में महिला ने अपने पति राहुल पी. गोपाल और उसके परिवार से माफी मांगी तथा पुलिस और मीडिया के सामने झूठ बोलने पर खेद जताया।
उसने दावा किया था कि उसने अपने माता-पिता के कहने पर ‘‘झूठ’’ बोला था।
इससे पहले, महिला ने यहां पंथीरंकावु में पुलिस पर आरोप लगाया था कि उसने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज नहीं किया, जबकि अपनी शिकायत में उसने स्पष्ट रूप से कहा था कि उसके पति ने मोबाइल फोन चार्जिंग केबल से उसका गला घोंटने की कोशिश की थी। पंथीरंकावु में उसका ससुराल है।
महिला के परिवार ने यह भी आरोप लगाया था कि पांच मई को उनकी शादी के महज एक सप्ताह बाद ही दहेज को लेकर हुए विवाद के बाद राहुल ने उस पर हमला किया और उसे जान से मारने का प्रयास किया।
महिला के वीडियो संदेश के बाद उसने और राहुल ने संयुक्त रूप से याचिका दायर की थी।
महिला ने अपने वीडियो संदेश के बाद राहुल के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने के लिए अपने पति के साथ मिलकर संयुक्त याचिका दायर की थी और उच्च न्यायालय ने याचिका रद्द करने की अनुमति दे दी थी।
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