Karnataka: राज्य स्थापना दिवस पर अनिवार्य रूप से फहराये कन्नड़ झंडा; कर्नाटक सरकार
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बेंगलुरु, 11 अक्टूबर : कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने शुक्रवार को कहा कि एक नवंबर को राज्य के स्थापना दिवस पर बेंगलुरु में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और जैव प्रौद्योगिकी (बीटी) क्षेत्र में काम करने वाली सभी शिक्षण संस्थाओं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों एवं कारखानों में कन्नड़ ध्वज अनिवार्य रूप से फहराया जाए. उन्होंने कहा कि शहर और बेंगलुरू शहरी जिले में रहने वाले लगभग 50 प्रतिशत लोग अन्य राज्यों से हैं तथा उन्हें भी कन्नड़ सीखने को प्राथमिकता देनी चाहिए. शिवकुमार ने कहा, ‘‘...हम मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक किए जाने के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. एक नवंबर कन्नड़ के लोगों के लिए उत्सव का दिन है.... बेंगलुरू के प्रभारी मंत्री के तौर पर मैंने एक नया कार्यक्रम तैयार किया है, जिसके तहत सभी स्कूलों और कॉलेजों, कारखानों, आईटी-बीटी क्षेत्र सहित व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अनिवार्य रूप से कन्नड़ ध्वज फहराया जाना चाहिए.’’

उन्होंने यहां पत्रकारों को बताया कि इस संबंध में आदेश जारी किया जाएगा. शिवकुमार ने कहा, ‘‘राज्योत्सव का सरकारी समारोह एक स्थान पर आयोजित किया जाएगा, लेकिन निजी और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में भी अनिवार्य रूप से समारोह आयोजित किए जाने चाहिए.’’ शिवकुमार ने कहा कि हर किसी को यह महसूस करना चाहिए कि कर्नाटक में कन्नड़ जाने बिना नहीं रहा जा सकता. उन्होंने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में एक नवंबर को कन्नड़ ध्वज फहराने के साथ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तर्ज पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने चाहिए. मंत्री ने कहा कि वह कारखानों और व्यसायिक संस्थानों से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए नहीं कह रहे हैं, लेकिन कन्नड़ ध्वज अनिवार्य रूप से फहराया जाना चाहिए. यह भी पढ़ें : Kalyan Satta Matka: कल्याण सट्टा मटका खेलते वक्त ध्यान रखें ये जरूरी बातें, नहीं तो होगा भारी नुकसान

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकारी आदेश का पालन न करने वालों को दंडित किया जाएगा, उन्होंने कहा, "मैं सभी को सूचित कर रहा हूं कि इस कन्नड़ भूमि पर, कन्नड़ सीखना उनका कर्तव्य है, हमने स्कूलों में कन्नड़ विषय को अनिवार्य कर दिया है.....कन्नड़ ध्वज फहराने के ऐसे कार्यक्रम गांवों में आयोजित किए जाते हैं, लेकिन बेंगलुरू शहर में - प्रभारी मंत्री के रूप में मैं इसे अनिवार्य बना रहा हूं." शिवकुमार ने कन्नड़ समर्थक संगठनों को चेतावनी दी कि अगर वे संस्थाओं या व्यवसायों पर यह कदम थोपने की कोशिश करेंगे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार द्वारा ऐसा करने के लिए अपील किए जाने जाने के बाद संस्थाएं और व्यवसाय स्वेच्छा से ऐसा करेंगे.’’