Maratha Reservation: जरांगे का दावा मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सरकार ने बयान बदला
Manoj Jarange

छत्रपति संभाजीनगर,14 दिसंबर: कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि सरकार ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर अपने बयान बदल दिए हैं और इसलिए वह समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ 17 दिसंबर को एक बैठक करेंगे ताकि यह तय किया जा सके कि अपने आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाया जाए. जरांगे ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए सरकार को 24 दिसंबर तक की समय सीमा दी है.

कार्यकर्ता ने छत्रपति संभाजीनगर के एक अस्पताल में संवाददाताओं से कहा कि आंदोलन को आगे कैसे ले जाना है, इस पर निर्णय लेने के लिए 17 दिसंबर को जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में एक बैठक होगी। उन्हें इस अस्पताल भर्ती कराया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘हम 24 दिसंबर के बाद मराठा समुदाय की एक बैठक आयोजित करने वाले थे। लेकिन कुछ चीजें हुई हैं और इस वजह से हम पहले बैठक की व्यवस्था कर रहे हैं.” जरांगे ने कहा, ‘‘सरकार ने पहले ही कहा था कि वह अंतरवाली सराटी में हुई घटना से संबंधित मामले वापस ले लेगी. मगर उन्होंने वहां लोगों को गिरफ्तार कर लिया. (राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री) छगन भुजबल की बात सुनने के बाद सरकार ने मराठा आरक्षण पर अपना बयान बदल दिया है.”

जालना के अंतरवाली सराटी गांव में मराठा आरक्षण के लिए आयोजित प्रदर्शन एक सितंबर को हिंसक हो गया, जिसमें पुलिसकर्मियों सहित कुछ लोग घायल हो गए थे. जरांगे ने कहा, "सरकार ने हमें मराठा आरक्षण के बारे में भी लिखित में नहीं दिया है। भुजबल हिंसा की बात करते हैं लेकिन हमारे खिलाफ कार्रवाई की जाती है." प्रतिष्ठित ओबीसी नेता भुजबल ने बुधवार को विधानसभा में एक सनसनीखेज दावा किया कि पुलिस को जानकारी मिली है कि उनकी ‘‘गोली मारकर हत्या’’ की जा सकती है.

उन्होंने यह भी दावा किया कि मराठा आरक्षण के लिए जारी आंदोलन के बीच उन्हें पिछले दो महीनों से अपशब्द कहे जा रहे हैं और धमकियां मिल रही हैं. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण प्रदान करने के वास्ते ओबीसी श्रेणी के तहत मराठाओं को शामिल करने का मुखर विरोध कर रहे हैं. जरांगे ने भुजबल की आलोचना की और दावा किया कि मंत्री अपने खिलाफ दर्ज (कथित भ्रष्टाचार के) मामले वापस हो जाएं, इसलिए बयान दे रहे हैं.

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