देश की खबरें | जमीयत ने सांप्रदायिकता के खिलाफ संयुक्त मंच बनाने की घोषणा की

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) ने सांप्रदायिकता के खिलाफ संयुक्त मंच बनाने का सोमवार को ऐलान किया और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के नाम एक ज्ञापन पारित कर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामलों में सरकार को त्वारित कार्रवाई करने का निर्देश देने की गुजारिश की।

नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) ने सांप्रदायिकता के खिलाफ संयुक्त मंच बनाने का सोमवार को ऐलान किया और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के नाम एक ज्ञापन पारित कर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामलों में सरकार को त्वारित कार्रवाई करने का निर्देश देने की गुजारिश की।

संगठन ने एक बयान में बताया कि जमीयत (एमएम समूह) प्रमुख महमूद मदनी के निमंत्रण पर देश की विभिन्न सामाजिक और शैक्षिक हस्तियों का एक सम्मेलन यहां आयोजित किया गया जिसमें देश में उत्पन्न हो रहे ‘‘सामाजिक विभाजन’’ और ‘‘बेचैनी’’ पर विस्तार से चर्चा की गई।

बयान के मुताबिक, इस सम्मेलन में ‘‘सांप्रदायिकता के खिलाफ एक संयुक्त मंच’’ बनाने की घोषणा की गई, जिसके लिए जल्द ही एक समिति का गठन किया जाएगा। इस सम्मेलन में महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी सहित विभिन्न क्षेत्रों की कई हस्तियों ने शिरकत की।

बयान के अनुसार, तुषार गांधी ने कहा कि मुसलमानों को (देश) विरोधी के रूप में पेश करने की रणनीति ने अन्य अल्पसंख्यक मुद्दों को भी पीछे धकेल दिया है और भेदभाव को बढ़ावा दिया है।

बयान के मुताबिक, तुषार गांधी ने कहा, ‘‘यदि मुसलमानों को संगठित रूप से अलग करने की साजिश जारी रही, तो यह अंततः गंभीर संघर्ष का कारण बन सकती है।’’

वहीं, संगठन के प्रमुख एवं राज्यसभा के पूर्व सदस्य महमूद मदनी ने आरोप लगाया कि आज लोगों को अल्पसंख्यकों के खिलाफ ‘‘भड़काया’’ जा रहा है और इन्हें ‘‘राजनीतिक और सामाजिक रूप से मिटाने’’ की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने देश के बहुसंख्यक समुदाय से आगे आकर ‘‘नफरत की भट्टी को बुझाने’’ की अपील की।

बयान के मुताबिक, पैगंबर मोहम्मद के ‘‘अपमान’’ के मामलों में त्वरित कार्रवाई की मांग से जुड़ा एक ज्ञापन राष्ट्रपति मुर्मू के नाम पारित किया गया, जिसपर सभी लोगों ने हस्ताक्षर किए।

ज्ञापन में राष्ट्रपति से मांग की गई कि वे राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते इस मामले में दखल दें और सरकार को त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने का निर्देश दें।

बयान में कहा गया है, ‘‘हम यह भी अनुरोध करते हैं कि अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा दिया जाए और सभी धार्मिक भावनाओं के सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएं, ताकि किसी भी समुदाय को ऐसी अपमानजनक प्रवृत्तियों का सामना न करना पड़े।’’

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