नयी दिल्ली, एक दिसंबर राष्ट्रीय राजधानी स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने अपने परिसर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निशाना बनाकर नारे लगाने के खिलाफ छात्रों को आगाह किया है।
विश्वविद्यालय ने कहा कि संस्थान में किसी भी ‘‘संवैधानिक गणमान्य व्यक्ति’’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और धरना देने की अनुमति नहीं है। साथ ही इस निर्देश का उल्लंघन करने पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।
रजिस्ट्रार मोहम्मद एम.ए. रिजवी द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया, ‘‘कुछ छात्र विश्वविद्यालय प्राधिकारियों की अनुमति या सूचना के बिना भारत के माननीय प्रधानमंत्री और देश की अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के खिलाफ नारे लगाने में शामिल हैं, जिनका न तो शिक्षा जगत से और न ही विश्वविद्यालय से कोई संबंध है।’’
विश्वविद्यालय द्वारा 29 नवंबर को जारी ज्ञापन में अगस्त 2022 के एक पूर्व निर्देश का हवाला दिया गया है, जिसमें छात्रों को याद दिलाया गया है कि विरोध प्रदर्शन और धरने के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है।
इसमें दोहराया गया, ‘‘विश्वविद्यालय परिसर के किसी भी हिस्से में किसी भी संवैधानिक गणमान्य व्यक्ति के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन, धरना या नारे लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, अन्यथा ऐसे दोषी छात्रों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।’’
ज्ञापन की छात्र संगठनों ने कड़ी आलोचना की है। वामपंथी समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने इस निर्देश की निंदा करते हुए इसे शैक्षणिक संस्थानों पर ‘‘संघ परिवार की तानाशाही पकड़’’ का प्रतिबिंब करार दिया।
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