देश की खबरें | मलबे में जिंदा बचे लोगों की तलाश में जुटे जैकी, डिक्सी और सारा

वायनाड (केरल), दो अगस्त भारतीय सेना के लैब्राडोर रिट्रीवर नस्ल के तीन श्वान जैकी, डिक्सी और सारा केरल के वायनाड जिले के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में मलबे में फंसे जीवित लोगों को खोजने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।

ये श्वान कीचड़, मलबे और बारिश जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करते हुए मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं।

इन श्वान को मलबे के नीचे मानव गंध की पहचान करने और संकेत देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

रक्षा विभाग के एक पीआरओ ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इंसान के सबसे अच्छे दोस्त वायनाड में मलबे के नीचे लोगों को खोजने के लिए मनुष्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। भारतीय सेना के तीन लैब्राडोर श्वान जैकी, डिक्सी और सारा कीचड़, मलबे या बारिश की परवाह किये बिना जीवित लोगों की तलाश में जुटे हैं।’’

इन श्वान को उत्तर प्रदेश के मेरठ कैंट स्थित आरवीसी सेंटर एवं कॉलेज के श्वान प्रशिक्षण संकाय (डीटीएफ) से लाया गया है। यह संकाय खोज और बचाव समेत नौ विशिष्ट कार्यों के लिए श्वान को प्रशिक्षित करता है।

रक्षा सूत्रों के अनुसार वायनाड लाये गये श्वान विशेषज्ञ खोज एवं बचाव (एसएआर) श्वान हैं, जिन्हें मलबे के नीचे मानव गंध की पहचान करने और संकेत देने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए उन्हें 12 सप्ताह का बुनियादी प्रशिक्षण और उसके बाद 24 सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।

ये श्वान मलबे के 10-12 फुट नीचे भी मानव शरीर की गंध सूंघने में सक्षम हैं।

सूत्रों ने बताया कि इन श्वान को पहले भी बड़े अभियानों के लिए तैनात किया चुका है।

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