जलवायु परिवर्तन में भारत की भूमिका न के बराबर लेकिन पर्यावरण की रक्षा के उसके प्रयास बहुआयामी: प्रधानमंत्री मोदी
पीएम मोदी (Photo Credits PIB)

नयी दिल्ली, 5 जून : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन में भारत की भूमिका न के बराबर होने के बावजूद पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत के प्रयास बहुआयामी रहे हैं. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यहां विज्ञान भवन में ‘मिट्टी बचाओ आंदोलन’ पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि विश्व के बड़े आधुनिक देश न केवल धरती के ज्यादा से ज्यादा संसाधनों का दोहन कर रहे हैं बल्कि सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन भी उन्हीं के खाते में जाता है. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान यह घोषणा भी कि आज ही भारत ने पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग (मिश्रण) के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है. उन्होंने कहा, ‘‘आपको ये जानकर भी गर्व की अनुभूति होगी कि भारत इस लक्ष्य पर तय समय से पांच महीने पहले पहुंच गया है.’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2014 में भारत में सिर्फ डेढ़ प्रतिशत इथेनॉल की पेट्रोल में ब्लेंडिंग होती थी. उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने की वजह से 27 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ और भारत को 41,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है तथा पिछले आठ वर्षों में 40,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की आय हुई है. मोदी ने देश के लोगों, किसानों और तेल निर्माता कंपनियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी. यह भी पढ़ें : पीएम मोदी से लेकर राजनाथ सिंह तक ने दी सीएम योगी को जन्मदिन की बधाई

‘मिट्टी बचाओ आंदोलन’ मिट्टी के बिगड़ते स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसे सुधारने के लिए जागरूक दायित्व कायम करने के लिए एक वैश्विक आंदोलन है. जाने-माने आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव ‘सद्गुरु’ ने मार्च 2022 में इस आंदोलन की शुरुआत की थी. उन्होंने 27 देशों से होकर 100 दिन की मोटरसाइकिल यात्रा शुरू की थी. पांच जून 100 दिन की यात्रा का 75वां दिन है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में मिट्टी को जीवंत बनाए रखने के लिए निरंतर काम हुआ है और इस दौरान मिट्टी को रसायन मुक्त बनाने, मिट्टी में रहने वाले जीवों को बचाने, मिट्टी की नमी को बनाए रखने तथा उस तक जल की उपलब्धता बढ़ाने, भूजल कम होने की वजह से मिट्टी को हो रहे नुकसान को दूर करने और वनों का दायरा कम होने से मिट्टी के लगातार क्षरण को रोकने पर सरकार का ध्यान केंद्रित रहा.