नयी दिल्ली, आठ अप्रैल अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष जलवायु दूत जॉन केरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि भारत ‘नेट-जीरो’ उत्सर्जन के लक्ष्य की घोषणा करता है तो यह एक बड़ा कदम होगा, लेकिन यह ‘‘परम आवश्यकता’’ नहीं है क्योंकि देश वे सभी चीजें कर रहा है जो उसे करने की जरूरत है।
‘नेट-जीरो’ का अर्थ ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और पर्यावरण से समान मात्रा में उत्सर्जन हटाने के बीच का संतुलन है।
उन्होंने कहा कि 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की भारत की 450 गीगावाट की योजना के क्रियान्वयन के साथ वह उन कुछ देशों में से एक होगा जो वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में मदद करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत के लिए ‘नेट-जीरो’ लक्ष्य की घोषणा करना व्यावहारिक होगा, केरी ने कहा, ‘‘हां, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मेरी बैठक में मेरा यह मेरा संदेश नहीं था। वह चुनौती को समझते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह बड़ी बात होगी यदि भारत यह कहना चाहे, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह परम आवश्यकता है क्योंकि भारत सभी चीजें कर रहा है जो उसे करने की जरूरत है।’’
केरी ने इसके साथ ही यहां भारतीय कारोबारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका को नए ऊर्जा बाजार की त्वरित तैनाती, उत्सर्जन में तेजी से कमी और तीव्र औद्योगिक परिवर्तन में भारत को अपने साझेदार के रूप में लेकर चलने की आवश्यकता है।
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