नई दिल्ली: एक सितंबर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2019 में हर दिन औसतन 381 लोगों ने आत्महत्या की और इस तरह पूरे साल में कुल 1,39,123 लोगों ने खुद ही अपनी जान ले ली. आंकड़ों के अनुसार, 2018 के मुकाबले 2019 में आत्महत्या के मामलों में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पिछले साल जहां 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की, वहीं 2018 में 1,34,516 और 2017 में 1,29,887 लोगों ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2019 में शहरों में आत्महत्या की दर (13.9 प्रतिशत) पूरे भारत में आत्महत्या की दर (10.4 प्रतिशत) से अधिक थी.
आंकड़ों के अनुसार 2019 में आत्महत्या के मामलों में 53.6 प्रतिशत लोगों ने फांसी लगाकर जान दी, वहीं जहर खाकर 25.8 प्रतिशत लोगों ने अपना जीवन समाप्त किया. 5.2 प्रतिशत लोगों ने पानी में डूबकर आत्महत्या की तो 3.8 प्रतिशत लोगों ने आत्मदाह किया.
एनसीआरबी के अनुसार आत्महत्या के 32.4 प्रतिशत मामलों में लोगों ने पारिवारिक समस्याओं के चलते अपनी जिंदगी खत्म की तो 5.5 प्रतिशत लोगों ने वैवाहिक समस्याओं के चलते ऐसा कदम उठाया. वहीं, 17.1 लोगों ने बीमारी के चलते आत्मघाती कदम उठाया.
आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या के प्रत्येक 100 मामलों में से 29.8 प्रतिशत महिलाएं और 70.2 प्रतिशत पुरुष अपना जीवन समाप्त करने वालों में शामिल रहे. इनमें से लगभग 68.4 प्रतिशत पुरुष विवाहित थे और विवाहित महिलाओं का अनुपात 62.5 प्रतिशत था.
आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आए जहां 18,916 लोगों ने अपना जीवन समाप्त किया. वहीं, इसके बाद तमिलनाडु में 13,493, पश्चिम बंगाल में 12,665 , मध्य प्रदेश में 12,457 और कर्नाटक में 11,288 लोगों ने 2019 में आत्महत्या की.
इन पांच राज्यों में आत्महत्या के करीब 49.5 प्रतिशत मामले सामने आए, जबकि शेष 50.5 मामले अन्य 24 राज्यों और सात केंद्रशासित प्रदेशों में सामने आए. सर्वाधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में अपेक्षाकृत कम लोगों ने आत्महत्या की और इस राज्य में यह आंकड़ा केवल 3.9 प्रतिशत रहा.
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