जरुरी जानकारी | धान एमएसपी में वृद्धि अपर्याप्त: अमरिंदर सिंह

चंडीगढ़, 10 जून पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गयी वृद्धि को लेकर कहा कि यह न केवल "बहुत कम है" बल्कि उन किसानों का "अपमान है" जो पिछले छह महीने से ज्यादा समय से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

केंद्र ने बुधवार को फसल वर्ष 2021-22 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 72 रुपए बढ़ाकर 1,940 रुपए प्रति क्विंटल करने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को यहां एक बयान में कहा, "ऐसे समय में जब किसान अपनी जान खतरे में डालते हुए दिल्ली की सीमाओं पर लंबे समय से प्रदर्शन करना जारी रखे हुए हैं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने उनके जख्मों पर मरहम लगाने की बजाए एमएसपी की घोषणा के साथ जख्मों पर नमक छिड़का है।"

उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह किसानों के हितों की रक्षा करने में लगातार नाकाम रही है और उनकी समस्याओं के प्रति उदासीन है।

सिंह ने पिछले एक साल में डीजल और अन्य खर्चों में हुई असाधारण वृद्धि का हवाला देते हुए कहा, "धान की एमएसपी में चार प्रतिशत से भी कम की वृद्धि बढ़ते कृषि निवेश खर्चों को पूरा करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है।"

उन्होंने कहा कि दूसरी फसलों की एमएसपी में भी मामूली वृद्धि की गयी और मक्के के आधार मूल्य में की गयी मामूली वृद्धि से किसान हतोत्साहित होंगे। जो किसान भूजल के गिरते स्तर के कारण दूसरी फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं वह इस मामूली वृद्धि से हतोत्साहित होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामीनाथन समिति जिसकी सिफारिशें सरकार ने मानने से "सीधे-सीधे इनकार कर दिया", उसने साफ-साफ सुझाव दिया था कि एमएसपी "उत्पादन के भारित औसत खर्च से कम से कम 50 प्रतिशत ज्यादा" होनी चाहिए।

अमरिंदर सिंह ने कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री का इतना कह देना ही काफी नहीं है कि किसानों के साथ बातचीत के लिये दरवाजे खुले हैं। भारत सरकार को कृषि कानूनों को निरस्त कर किसानों के साथ बातचीत करनी चाहिए ताकि कृषि समुदाय और पूरे देश के हित में कृषि क्षेत्र में असली एवं सार्थक सुधार किए जा सकें।

मुख्यमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते हुये उत्पादन की वास्तविक लागत को संज्ञान में लेने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘एमएसपी में मामूली वृद्धि ने एक बार फिर से केन्द्र की किसान विरोधी नीतियों और कार्यक्रमों की पोल खोल दी है।’’

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