गोल्ड कोस्ट (ऑस्ट्रेलिया), 30 नवंबर (द कन्वरसेशन) जैसे-जैसे मौसम गर्म होना शुरू हो गया है कार्यालयों में एयर कंडीशनर का इस्तेमाल बढ़ रहा है। लेकिन लोगों में पसंद के तापमान में भिन्नता के बीच हमें एयर कंडीशनर का तापमान कहां रखना चाहिए?
कार्यालय में काम करने वाले हर एक शख्स के लिए उपयुक्त तापमान को ढूंढ़ पाना असंभव है। तो फिर तापमान के मामले में हमारी पसंद इतनी अलग क्यों है? और क्या यह हमारे आराम के स्तर की अपेक्षा प्रभावित अधिक करता है।
महिलाएं आमतौर पर कार्यालय में थोड़ी गर्माहट पसंद करती हैं। लैंगिक आधार पर अंतर की तुलना में समानताएं अधिक होती हैं, लेकिन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को थोड़ी ज्यादा ठंड महसूस होती है।
वर्ष 2021 में 38,000 से ज्यादा प्रतिभागियों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 38 फीसदी उत्तरदाता अपने दफ्तर के तापमान से असंतुष्ट थे।
असंतुष्ट लोगों में से लगभग दो-तिहाई महिलाएं थीं।
हालांकि, जवाब अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन महिलाओं के लिए दफ्तर का सबसे अच्छा तापमान अक्सर पुरुषों की तुलना में लगभग एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा होता है।
एक अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं के लिए इष्टतम तापमान 24 डिग्री है तो वहीं पुरुषों के लिए 23.2 डिग्री सेल्सियस। क्या तापमान आपकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है?
कमरे का तापमान कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है। अध्ययन के मुताबिक, दफ्तर में तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होने पर पुरुषों ने गणित और मौखिक कार्यों में खराब प्रदर्शन किया जबकि महिलाओं ने 25 डिग्री सेल्सियस से नीचे इन विषयों में खराब प्रदर्शन किया।
हालांकि अन्य कार्यों पर तापमान का कोई खास प्रभाव नहीं दिखा। शोधकर्ताओं ने संज्ञानात्मक प्रतिबिंब परीक्षण (जहां प्रश्न ऐसे होते हैं कि सहज उत्तर गलत उत्तर होता है) या संज्ञानात्मक भार कार्यों (जहां कार्यशील स्मृति अतिभारित होती है) जैसे कई संज्ञानात्मक कार्यों पर किसी भी लिंग के प्रदर्शन में कोई अंतर नहीं पाया।
अक्सर यह प्रस्तावित किया जाता है कि एकाग्रता तापमान से प्रभावित हो सकती है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है।
शोधकर्ताओं ने तर्क दिया कि पर्यावरणीय लाभ और ऊर्जा बचत के कारण अधिक तापमान बनाए रखना सर्वोत्तम है।
पुरुषों और महिलाओं के बीच तापमान में अंतर के पीछे का कारण? हमारे तापमान के बीच अंतर में हार्मोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
टेस्टोस्टेरोन कंधों के आस-पास अधिक संख्या में मांसपेशियों के विकास का कारण है और मांसपेशियां गर्मी पैदा करती हैं, जिससे पुरुषों की गर्दन महिलाओं की तुलना में ज्यादा गर्म होती है।
यह क्षेत्र विशेष रूप से ठंडे तापमान के प्रति संवेदनशील होता है।
एस्ट्रोजन महिलाओं में अलग-अलग जगह पर वसा (फैट) को बढ़ावा देता है और उसे बनाए रखने का काम करता है, जिसकी वजह से कई जगह पर त्वचा और मांसपेशियों के बीच थोड़ा ज्यादा फैट जमा हो जाता हैं। इससे त्वचा ठंडी लगती है और महिलाओं को गर्म तापमान अच्छा लगने लगता है।
महिलाओं में पुरुषों की तुलना में मेटाबॉलिक (चयापचय) दर कम या फिर बहुत धीमा होती है। इसका मतलब यह है कि महिलाओं के शरीर में गर्मी कम पैदा होती है और ठंडे तापमान में उनके शरीर को ठंड लगने की अधिक संभावना होती है।
सप्ताह दर सप्ताह बदल सकती है महिलाओं की पसंद
मासिक धर्म चक्र के कारण भी महिलाओं के शरीर पर अलग-अलग तापमान का काफी प्रभाव पड़ता है।‘ओव्यूलेशन’ के बाद महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन अधिक मात्रा में रिलीज होते हैं, जिससे शरीर का तापमान लगभग 0.3-0.6 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है।
इसका मतलब यह है कि इस दौरान महिलाओं को बाहरी तापमान पुरुषों की तुलना में ठंडा लगेगा।
प्रोजेस्टेरोन हार्मोन गर्मी को संरक्षित करने में भी मदद करता है और त्वचा से रक्त को अंगों में पहुंचाने का काम करता है। इसका मतलब है कि महिलाओं के हाथ, कान और पैर पुरुषों की तुलना में एक से दो डिग्री सेल्सियस तक ठंडे हो सकते हैं। जब आपके हाथ और पैर बहुत ठंडे होते हैं तो ठंडे वातावरण में गर्म महसूस करना मुश्किल होता है।
महीने के अन्य समय में महिलाओं के शरीर का तापमान विपरीत हो सकता है। एस्ट्रोजन त्वचा में रक्त के प्रवाह का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक गर्मी लगने लगती है और संभावित रूप से शरीर पर चकत्ते भी हो सकते हैं।
गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन में फिर से बदलाव होता है और ये अलग-अलग दिशाओं में प्रवाहित हो सकते हैं, जिससे ठंड का अहसास हो सकता है लेकिन साथ ही गर्मी भी महसूस हो सकता है।
इसका मतलब यह है कि कुछ महिलाएं एक सप्ताह तक ठंड पसंद करती हैं तो फिर अगले सप्ताह ही उन्हें गर्म तापमान अच्छा लगने लगता है।
तापमान में अंतर को प्रभावित करने वाले अन्य कारक? कुल मिलाकर शरीर का आकार और संरचना भी तापमान में अंतर पर एक शक्तिशाली प्रभाव डालती है। चूंकि मांसपेशियां गर्मी पैदा करती हैं इसलिए हमारे शरीर में जितनी अधिक मांसपेशियां होंगी उतनी ही अधिक गर्मी हम पैदा करते हैं, जिससे हम गर्म रहते हैं। तापमान में अंतर कई व्यक्तिगत कारकों जैसे कि उम्र, ऊंचाई और वजन से भी प्रभावित हो सकती है। अधिक वजन वाले लोगों को ठंडा वातावरण ज्यादा पसंद होता है।
उम्र भी तापमान नियंत्रित करने वाली प्रणाली को प्रभावित कर सकती है जैसे हमारे शरीर की पसीना निकालने की क्षमता और साथ ही तापमान में बदलाव को अनुभव करना। वयस्कों की तुलना में बच्चों को ठंड का एहसास कम होता है।
कम उम्र में पसीना ज्यादा आता है और तापमान में बदलाव थोड़ा कम महसूस होता है। बच्चों को वयस्कों की तुलना में ठंड का एहसास होने की संभावना कम होती है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि एक व्यक्ति किस तरह का काम करता है, इसका भी असर पड़ता है। जितना ज्यादा आप घूमते हैं उतनी ही ज्यादा गर्मी आपका शरीर पैदा करती है।
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