नयी दिल्ली, नौ अगस्त नयी दिल्ली में जिस कोचिंग सेंटर के ‘बेसमेंट’ में पिछले महीने पानी भरने से सिविल सेवा के तीन अभ्यर्थियों की मौत हो गई थी, जेल में बंद उसके चार सह-मालिकों ने शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि यह घटना ‘‘ईश्वरीय कृत्य थी और यदि नगर निकायों ने अपना कर्तव्य निभाया होता तो इसे टाला जा सकता था।’’
आरोपियों - परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह - ने मामले में जमानत का अनुरोध करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना के समक्ष यह दलील दी।
चारों आरोपियों के वकील ने न्यायाधीश से कहा, ‘‘यह ईश्वरीय कृत्य था और यदि नगर निकाय एजेंसियों ने अपने कर्तव्यों का पालन किया होता, तो इसे टाला जा सकता था लेकिन वे इसमें बुरी तरह विफल रहे।’’
वकील ने कहा, ‘‘ ‘बेसमेंट’ में पुस्तकालय नहीं था, बल्कि यह प्रतीक्षा क्षेत्र था जहां छात्र जाकर बैठ सकते थे और स्वयं अध्ययन कर सकते थे। पट्टा विलेख में पुस्तकालय के बारे में कोई बात नहीं है, लेकिन इसमें कहा गया है कि इसका इस्तेमाल कोचिंग के उद्देश्य से किया जाना था।’’
वकील ने दावा किया कि घटना से कुछ दिन पहले परिसर में अग्निशमन विभाग ने निरीक्षण किया था।
उन्होंने दावा किया कि निरीक्षण के बाद अग्निशमन विभाग द्वारा दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि बेसमेंट का उपयोग भंडारण के लिए किया जा रहा था और भवन सुरक्षित है तथा शैक्षणिक केंद्र चलाने के लिए उपयुक्त है।
वकील ने कहा कि गैर इरादतन हत्या की धारा लगाने के लिए, जानकारी के साथ अपराध करने का इरादा होना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें जानकारी कहां से मिलती। क्या मैंने यह सोचकर संपत्ति दी थी कि मैं ‘बेसमेंट’ बनाऊंगा और एक दिन जब बारिश होगी तो मैं हत्या करूंगा।।’’
वकील ने न्यायाधीश से कहा कि चारों आरोपी गिरफ्तारी से नहीं भागे, बल्कि घटना की जानकारी मिलने के बाद वे स्वयं ही पुलिस थाने गए थे।
न्यायाधीश ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 12 अगस्त की तारीख तय की।
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