उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को जेलों में शौचालयों का निरीक्षण, मरम्मत का निर्देश दिया
Delhi High Court | PTI

नयी दिल्ली, 8 अगस्त : दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि वह राजधानी के सभी जेल परिसरों में शौचालयों की स्थिति का निरीक्षण करने के बाद चार महीने के भीतर उनका नवीनीकरण और मरम्मत करे. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि तिहाड़ जेल का निरीक्षण करने वाले न्यायाधीशों द्वारा दाखिल एक रिपोर्ट के अनुसार, शौचालयों की स्थिति संतोषजनक नहीं है और कुछ कैदियों द्वारा स्वेच्छा से सफाई का काम किया जा रहा है. अदालत ने अधिकारियों से कहा कि वे प्रत्येक जेल परिसर में शौचालयों की साफ-सफाई के लिए अनुबंध सहित पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नियुक्त करें तथा उन कैदियों को अकुशल श्रम के लिए निर्धारित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करें जो स्वेच्छा से सफाई का काम कर रहे हैं. उच्च न्यायालय का यह आदेश तिहाड़ जेल में हाथ से मैला साफ करने के आरोप वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कैदियों द्वारा हाथों से मानव मल साफ किया जा रहा है.

हालांकि, अदालत को सौंपी गई रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजधानी की जेलों में हाथ से मैला ढोने की प्रथा से इनकार किया गया. दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि शौचालयों की स्थिति ठीक नहीं है और साफ-सफाई के मुद्दे हैं. पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘‘हर कोई हाथ से मैला ढोने की प्रथा से इनकार कर रहा है. शौचालय की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्निर्माण की जरूरत है.’’ इसने कहा, ‘‘लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को शौचालयों की स्थिति के संबंध में सभी जेल परिसरों का गहन निरीक्षण करने का निर्देश दिया जाता है. यदि किसी मरम्मत कार्य की आवश्यकता है, तो उपयुक्त प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएं. मरम्मत का कार्य चार महीने के भीतर पूरा किया जाएगा.’’ याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि कैदियों को बिना किसी सुरक्षात्मक उपकरण के शौचालयों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उन्हें कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है. यह भी पढ़ें : CM आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर व्यक्त किया शोक

अदालत ने कहा कि निरीक्षण करने वाले न्यायाधीशों की रिपोर्ट के अनुसार, शौचालयों में स्वैच्छिक सफाई के काम के लिए कुछ कैदियों को भुगतान किया जा रहा है, जबकि कुछ को नहीं. इसने कहा कि सफाई उपकरणों की कमी पाई गई और कुछ शौचालय इस्तेमाल करने की स्थिति में नहीं मिले.

पीठ ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार को प्रत्येक जेल परिसर में शौचालयों की सफाई के लिए कर्मचारी नियुक्त करने का निर्देश दिया जाता है. दिल्ली सरकार गैर सरकारी संगठनों से सहायता लेने या अनुबंध के आधार पर लोगों को नियुक्त करने पर भी विचार कर सकती है. जेल महानिदेशक और जेल अधीक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि मास्क, जूते और अन्य उपकरण उपलब्ध कराए जाएं.’’ अदालत ने सरकार से आठ सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए अक्टूबर में सूचीबद्ध कर दिया.