कोलकाता, 29 नवंबर पश्चिम बंगाल के पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के बीच शुक्रवार को विधानसभा में तीखी बहस हुई।
केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार द्वारा राज्य में कई सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के लिए कथित तौर पर धनराशि रोक दिए जाने के कारण मंत्री और विपक्ष के नेता के बीच तीखी बहस हुई।
मजूमदार ने केंद्रीय कोष की मांग वाले प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा कि केंद्र पर 2021 से मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं के लिए राज्य का करोड़ों रुपये बकाया है।
इसके जवाब में अधिकारी ने कहा कि पैसा इसलिए रोक दिया गया क्योंकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार केंद्रीय कोष के इस्तेमाल का प्रमाण पत्र देने में विफल रही।
पंचायत मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने आवास योजना के तहत आवास इकाइयों के लिए 56 लाख लोगों के नाम भेजे थे और केंद्र ने उनमें से 11 लाख को मंजूरी दे दी है।
मजूमदार ने कहा, ‘‘लेकिन, इन 11 लाख लोगों को भी घर बनाने के लिए एक पैसा नहीं मिला है। ’’
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह सुनिश्चित किया है कि उन्हें राज्य के खजाने से धनराशि मिले।
मजूमदार ने कहा कि राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 59 लाख कार्ड धारक हैं और इसके लिए केंद्र पर राज्य का 3,731 करोड़ रुपये बकाया है।
विपक्ष के नेता ने दावा किया कि राज्य सरकार अतीत में 6.4 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय निधि को 'वित्तीय अनुशासनहीनता' के कारण खर्च नहीं कर सकी, जो केंद्र को उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने में उसकी 'विफलता' से प्रकट हुई।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘केंद्र ने मध्याह्न भोजन योजना के लिए हजारों करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 30,000 करोड़ रुपये भेजे थे।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में 25 लाख फर्जी मनरेगा जॉब कार्ड अयोग्य लोगों को दिए गए।
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