देश की खबरें | हरियाणा चुनाव परिणाम आश्चर्यजनक, सैनी जननेता नहीं: आनंद शर्मा

पटना, 21 अक्टूबर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हाल में सामने आए हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों को ‘आश्चर्यजनक’ करार देते हुए सोमवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत उत्तरी राज्य में व्याप्त लोकप्रिय भावना के उलट है।

शर्मा ने कांग्रेस की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री (हुड्डा)जन नेता होने के बावजूद सत्ता में नहीं लौट सके, जबकि मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ‘जन नेता’ नहीं होने के बावजूद लगातार दूसरी बार सत्ता में आए हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य शर्मा बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह की जयंती पर पार्टी की प्रदेश इकाई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

शर्मा ने कहा, ‘‘हम सभी ने देखा कि हरियाणा में क्या हुआ। परिणाम कितने आश्चर्यजनक थे। लोगों का मूड कुछ और बता रहा था, लेकिन मशीनों (ईवीएम) से जो निकला वह बिल्कुल अलग था।’’

उल्लेखनीय है कि अधिकांश विश्लेषकों और एग्जिट पोल ने हरियाणा में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी की थी, जहां भाजपा 2014 से सत्ता में है।

हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में कांग्रेस के मत प्रतिशत में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, इसके बावजूद वह बहुमत से दूर रह गई। वहीं भाजपा ने अपने मत प्रतिशत में चार प्रतिशत का सुधार किया और अपनी अब तक की सर्वश्रेष्ठ सीट संख्या हासिल की।

शर्मा ने हुड्डा की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘यह हरियाणा के बड़े नेता हैं, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। दूसरी ओर, वर्तमान मुख्यमंत्री राज्य के जननेता नहीं हैं...... लेकिन लोग सब कुछ देख रहे हैं और हमें निराश होने की ज़रूरत नहीं है।’’

सैनी को एक साल पहले भाजपा की हरियाणा इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था और इस साल मार्च में मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई।

शर्मा ने बिहार सहित उत्तर भारत में कांग्रेस के ‘पुनरुत्थान’ की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जहां पार्टी ने 35 साल पहले अपनी सरकार बनाई थी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा अतीत के दिग्गजों के योगदान को मिटाकर इतिहास को फिर से लिखने के कथित प्रयासों की भी निंदा की। उन्होंने कहा,‘‘हमारी सभ्यता प्राचीन है। हमें यह सुझाव देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि सब कुछ 2014 (जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सत्ता में आए) के बाद ही हुआ है।’’

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