नयी दिल्ली, 13 सितंबर : स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि वह दुनिया के अन्य देशों से कोविड-19 की उत्पत्ति की पहचान करने के लिए और अधिक अनुसंधान एवं अध्ययन करने तथा इसके लिए जिम्मेदार पाए जाने वालों को दंडित करने की अपील करे. समिति ने ‘‘टीके का विकास, वितरण, प्रबंधन एवं कोविड-19 का न्यूनीकरण’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस बात को स्पष्ट करने के अब भी ठोस सबूत नहीं हैं कि कोरोना वायरस किसी प्रयोगशाला में हुई कोई घटना के कारण मनुष्यों तक पहुंचा या नहीं. यह रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा में पेश की गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति का मानना है कि अगर कोरोना वायरस की उत्पत्ति को एक रहस्य बना रहने दिया गया, तो इसका दुनिया की जैव सुरक्षा तथा जैवसंरक्षा पर अत्यधिक प्रभाव पड़ेगा. इसमें कहा गया है, ‘‘इसलिए, समिति सरकार से इस बात की दृढ़ता से सिफारिश करती है कि वह राष्ट्रों के समुदाय से कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने के मकसद से और अधिक अध्ययन करने तथा इसके लिए जिम्मेदार पाए जाने वालों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दंडित करने की अपील करने के लिए अपनी कूटनीति पर विचार करे.’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार सामने आ रहे विभिन्न वायरस की बढ़ती संख्या ने संक्रमण की उत्पत्ति की व्यवस्थित जांच के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है. यह भी पढ़ें : बंगाल: तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध मार्च निकालने की तैयारी में भाजपा
इसमें सिफारिश की गई है कि मंत्रालय भविष्य में किसी भी बीमारी के फैलने पर इसकी अधिक प्रभावी जांच और प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए देश में एक स्वास्थ्य देखभाल ढांचा विकसित करे. समिति ने कहा, ‘‘समिति का दृढ़ विश्वास है कि इस संबंध में (नीति आयोग के सदस्य) डॉ. वी के पॉल के नेतृत्व में हाल में गठित कार्य बल मंकीपॉक्स की स्थिति पर नजर रखेगा और इस खतरे से निपटने एवं देश में नैदानिक सुविधाओं के विस्तार के लिए सरकार का मार्गदर्शन करेगा.’’ समिति ने इस बात को रेखांकित किया कि देश में कोविड-19 के कुल मामलों की उच्च संख्या को देखते हुए उन नमूनों की संख्या कम है, जिनका अनुक्रमण किया जा रहा है.