डॉयचे बैंक की निवेश शाखा डीडब्ल्यूएस पर अमेरिका में 2.5 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगा है. कंपनी को "हरित" निवेश में गलतबयानी और मनी लाउंड्रिंग पर अपर्याप्त नियंत्रण का दोषी माना गया है. कंपनी जुर्माना देने को राजी है.अमेरिका के सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने सोमवार को बताया कि कंपनी को दो मामलों में दोषी करार दिया गया है, "पहला मामला म्यूचुअल फंड एंटी मनी लाउंड्रिंग प्रोग्राम विकसित करने में नाकाम रहने का है जबकि दूसरा पर्यावरण, समाज और गवर्नेंस से जुड़े निवेश में गलतबयानी का है."
जुर्मान चुकाने को तैयार हुई कंपनी
डीडब्ल्यूएस इस मामले के निपटारे के लिए 2.5 करोड़ डॉलर की रकम चुकाने पर रजामंद हो गया है. इसमें मनी लाउंड्रिंग वाले मामले के लिए 60 लाख और गलतबयानी वाले मामले के लिए 1.9 करोड़ डॉलर की रकम चुकाई जाएगी. इसके बदले में कंपनी पर इन आरोपों को स्वीकार या अस्वीकार करने की बाध्यता नहीं रहेगी.
डीडब्ल्यूएस की तरफ से सोमवार को जारी बयान में कहा गया है, "हमें खुशी है कि इन मामलों का निपटारा हो गया है जो कुछ ऐतिहासिक प्रक्रियाओं, कार्यविधियों और मार्केटिंग की परंपराओं से जुड़े थे. फर्म ने अब इन्हें सुलझा लिया है."
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मामले की जांच
डीडब्ल्यूएस पर आरोप है कि उसने कुछ फाइनेंशियल प्रॉडक्ट की मार्केटिंग जितने ग्रीन वो हैं उससे कहीं ज्यादा बता कर की थी. कंपनी पर "ग्रीनवाशिंग" के आरोपों के बाद निगरानी और आपराधिक मामलों की छानबीन करने वाली एजेंसियों ने जांच की थी. इस मामले में लगे आरोपों के मुताबिक एसेट मैनेजरों ने पर्यावरण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के मामले में सस्टेनिबिलिटी को लेकर प्रगति के दावे बढ़ा चढ़ा कर दिए थे.
यह जांच कंपनी के पूर्व एसेट मैनेजर डेसीरी फिक्सल्स के लगाए आरोपों के बाद शुरू की गई थी. डीडब्ल्यूएस ग्रीनवाशिंग के आरोपों से लगातार इनकार करता रहा है. डॉयचे बैंक की इस सब्सिडिरी कंपनी का कहना है कि एसईसी ने डीडब्ल्यूएस की वित्तीय घोषणाओं या फिर फंड्स के प्रोस्पेक्टसों के बारे में कोई गलतबयानी नहीं मानी है.
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पर्यावरणके लिए काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस का कहना है कि "ग्रीनवाशिंग" के लिए आखिरकार आपराधिक सजा मिली जो एक बड़ी सफलता है. ग्रीनपीस का यह भी कहना है कि कंपनी पर लगा भारी जुर्माना यह दिखा रहा है कि ग्राहकों को पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर धोखा देना कोई मामूली अपराध नहीं है.
बीते सालों में बहुत सी कंपनियों पर ग्रीनवाशिंग के आरोप लगते रहे हैं. कंपनियां खुद को पर्यावरण का रक्षक बताने और ग्रीन लेबल हासिल करने के लिए बढ़ चढ़ कर दावे करती हैं जो कई बार सच नहीं होते हैं. इस घटना से उन्हें कुछ सबक जरूर हासिल होगा.
एनआर/ओएसजे (एएफपी)