गांगुली, धोनी कभी नहीं बन पाये विजडन के क्रिकेटर, रोहित को भी किया नजरअंदाज
विजडन इस सूची में जगह बनाने के लिये केवल इंग्लैंड में प्रदर्शन को महत्व देता रहा है और इसलिए एक जमाने में सुनील गावस्कर ने इसकी आलोचना भी की थी। गावस्कर को 1980 में विजडन के पांच क्रिकेटरों में जगह मिली थी जबकि उन्होंने 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उसकी सरजमीं पर 774 रन बनाकर इतिहास रच दिया था।
नयी दिल्ली, 12 अप्रैल भारत ने 1932 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था लेकिन अभी तक उसके केवल 17 खिलाड़ी ही विजडन के वर्ष के पांच क्रिकेटरों की सूची में जगह बना पाये हैं और हैरानी वाली बात यह है इसमें सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल नहीं हैं।
विजडन इस सूची में जगह बनाने के लिये केवल इंग्लैंड में प्रदर्शन को महत्व देता रहा है और इसलिए एक जमाने में सुनील गावस्कर ने इसकी आलोचना भी की थी। गावस्कर को 1980 में विजडन के पांच क्रिकेटरों में जगह मिली थी जबकि उन्होंने 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उसकी सरजमीं पर 774 रन बनाकर इतिहास रच दिया था।
भारतीय क्रिकेटरों की एक लंबी फेहरिस्त है जिन्हें विजडन के पांच क्रिकेटरों में जगह नहीं मिली। इनमें गांगुली, धोनी और रोहित के अलावा गुंडप्पा विश्वनाथ, वीरेंद्र सहवाग, स्पिन चौकड़ी में शामिल बिशन सिंह बेदी, ईरापल्ली प्रसन्ना और एस वेंकटराघवन, हरभजन सिंह, रविचंद्रन अश्विन, जवागल श्रीनाथ, रविंद्र जडेजा, इशांत शर्मा आदि प्रमुख हैं।
गांगुली ने तो अपने करियर की शुरुआत भी इंग्लैंड में की थी और पहले दो टेस्ट मैचों में भी शतक जड़े थे। उन्होंने इंग्लैंड में नौ टेस्ट मैचों में 65.35 की औसत से 915 रन बनाये हैं। वनडे में उनका सर्वोच्च स्कोर 183 रन (बनाम श्रीलंका विश्व कप 1999) भी इंग्लैंड की धरती पर बना है लेकिन विजडन ने कभी भारतीय कप्तान को वर्ष के पांच क्रिकेटरों में शामिल करने के लिये उपयुक्त नहीं समझा।
रोहित ने पिछले दो वर्षों में एकदिवसीय क्रिकेट में इंग्लैंड की धरतीं पर रनों का अंबार लगाया है। उन्होंने विश्व कप 2019 में पांच शतकों की मदद से 648 रन बनाये थे लेकिन विजडन ने उनके इस प्रदर्शन को वर्ष के अपने पांच क्रिकेटरों में शामिल करने के लायक भी नहीं समझा। गौरतलब है कि मोहिंदर अमरनाथ को 1984 में विश्व कप 1983 के सेमीफाइनल और फाइनल के प्रदर्शन के आधार पर विजडन की इस सूची में जगह मिली थी।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने भी कहा कि उन्हें इस साल विजडन के पांच खिलाड़ियों में रोहित का नाम नहीं देखकर हैरानी हुई।
लक्ष्मण ने कहा, ‘‘मुझे लगता है जो भी इस खेल को देखता है वह पांच खिलाड़ियों की इस सूची में रोहित का नाम नहीं देखकर हैरान होगा।’’
गांगुली की तरह अपने बल्ले और कप्तानी का डंका दुनिया भर में बजाने वाले धोनी कभी विजडन की सूची में जगह नहीं बना पाये जबकि उन्होंने इंग्लैंड की धरती पर कुछ बेहतरीन पारियां खेली हैं। विश्वनाथ ने अपना उच्चतम स्कोर 222 रन इंग्लैंड के खिलाफ बनाया था लेकिन तब स्थान चेन्नई था लेकिन 1979 में लार्ड्स में खेली गयी उनकी 113 रन की पारी को भला कौन भुला सकता है जिससे भारत ने मैच ड्रा करवाया था।
सहवाग कभी विजडन के पांच क्रिकेटरों में शामिल नहीं हो पाये लेकिन उन्हें 2003 से शुरू किये गये वर्ष के अग्रणी क्रिकेटर (विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वर्ल्ड) में दो बार (2008 और 2009) जगह मिली है। यह सम्मान सचिन तेंदुलकर (2010) और विराट कोहली (2016 से 2019) को भी मिला है।
भारत ही नहीं विश्व के कई चोटी के क्रिकेटरों को कभी विजडन के पांच क्रिकेटरों की सूची में जगह नहीं मिली। इनमें इंजमाम उल हक, एबी डिविलियर्स, डेविड वार्नर, रोस टेलर, क्रिस गेल, स्टीफन फ्लेमिंग, रंगना हेराथ, नाथन लियोन, डेनियल विटोरी, चमिंडा वास, मिशेल जानसन, मोर्ने मोर्कल आदि भी शामिल हैं। डिविलियर्स को हालांकि विजडन ने पिछले साल दशक के पांच क्रिकेटरों में शामिल किया था।
सीके नायडू (1933) विजडन में जगह बनाने वाले पहले विशुद्ध भारतीय क्रिकेटर थे। उनसे पहले रणजीतसिंह जी (1897), उनके भतीजे दलीपसिंह जी (1930) और नवाव पटौदी सीनियर (1932) को यह सम्मान मिला था लेकिन ये तीनों तब इंग्लैंड की तरफ से खेला करते थे।
विजडन ने 2000 से 2003 तक इस पुरस्कार के लिये विश्व भर के प्रदर्शन को ध्यान में रखा। इस बीच वीवीएस लक्ष्मण को आस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता में खेली गयी 281 रन की ऐतिहासिक पारी के लिये विजडन के क्रिकेटरों में जगह मिली थी।
विजडन ने हालांकि इसके बाद फिर से पुरानी परंपरा पर वापस लौटने का फैसला किया और विश्व भर के क्रिकेटरों के लिये विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वर्ल्ड की शुरुआत की।
विजडन के वर्ष के पांच क्रिकेटरों में शामिल भारतीय क्रिकेटर : सीके नायडू (1933), विजय मर्चेंट (1937), वीनू मांकड़ (1947), मंसूर अली खां पटौदी (1968), भगवत चंद्रशेखर (1972), सुनील गावस्कर (1980), कपिल देव (1983), मोहिंदर अमरनाथ (1984), दिलीप वेंगसरकर (1987), मोहम्मद अजहरूद्दीन (1991), अनिल कुंबले (1996), सचिन तेंदुलकर (1997), राहुल द्रविड़ (2000), वीवीएस लक्ष्मण (2002), जहीर खान (2008), शिखर धवन (2014) और विराट कोहली (2019)।
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