देश की खबरें | आरजी कर के पूर्व प्राचार्य घोष ने अस्पताल का ठेका दिलाने में दो गिरोहों की मदद की: आरोपपत्र

नयी दिल्ली, एक दिसंबर कोलकाता के राजकीय आर.जी. कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष ने कथित तौर पर अस्पताल के ठेके हासिल करने में दो गिरोहों की मदद की।

पूरे प्रकरण की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने हाल में दाखिल आरोप पत्र में यह दावा किया है।

सीबीआई मामलों की विशेष अदालत ने आरोपपत्र को रिकार्ड में ले लिया है, लेकिन अभी तक इस पर संज्ञान नहीं लिया है क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार ने घोष और अन्य आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है।

घोष ने 12 अगस्त को संस्थान परिसर में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद प्राचार्य पद से इस्तीफा दे दिया था।

सीबीआई ने आरोप पत्र में घोष, चिकित्सा महाविद्यालय के पूर्व हाउस स्टाफ आशीष कुमार पांडे, मां तारा ट्रेडर्स के व्यवसायी बिप्लब सिंह, हाजरा मेडिकल की सुमन हाजरा और ईशान कैफे के अफसर अली खान को नामजद किया है।

सीबीआई प्रवक्ता ने बताया, ‘‘यह मामला कोलकाता के आर.जी. कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में दर्ज किया गया है।’’

उन्होंने बताया कि सीबीआई ने आरोप लगाया है कि घोष और पांडे ने नियमों का उल्लंघन कर कई चिकित्सकों को हाउस स्टाफ के रूप में नियुक्त किया।

केंद्रीय एजेंसी ने अलीपुर स्थित विशेष सीबीआई अदालत में दायर अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया कि घोष ने अस्पताल के कई ठेके हासिल करने में दो गिरोहों - एक सिंह और हाजरा द्वारा संचालित तथा दूसरा खान द्वारा संचालित - की मदद की।

विशेष न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ध्यानपूर्वक अध्ययन करने पर पता चला कि सक्षम प्राधिकारी का मंजूरी आदेश अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। तदनुसार, बिना मंजूरी के संज्ञान नहीं लिया जा सकता। इसे रिकॉर्ड में रखा जाए।’’

अस्पताल तब सुर्खियों में आया जब 10 अगस्त को छाती रोग विभाग के सभागार में एक प्रशिक्षु चिकित्सक मृत पाई गई। यह बात सामने आई कि 9-10 अगस्त की दरमियानी रात नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय ने कथित तौर पर उसके साथ बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी।

घोष ने फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक आरजी कर चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य के रूप में कार्य किया। उन्हें पिछले साल अक्टूबर में आरजी कर से स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन एक महीने के भीतर ही वे उस पद पर वापस आ गए।

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