मुंबई, 29 दिसंबर : भ्रष्टाचार के एक कथित मामले में गिरफ्तार किये जाने के एक साल से अधिक समय बाद महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को बुधवार को जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता देशमुख (73) का उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुंबई के आर्थर रोड जेल से शाम लगभग 4.45 बजे बाहर आने पर स्वागत किया. बम्बई उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें जमानत देने संबंधी अपने आदेश पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया था. अजित पवार, जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, छगन भुजबल सहित राकांपा के वरिष्ठ नेताओं ने जेल के बाहर उनका स्वागत किया. देशमुख ने कहा, ‘‘मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. मुझे एक झूठे मामले में फंसाया गया है.’’
बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे का जिक्र करते हुए देशमुख ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई ने एक अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ मामले दर्ज किए. दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के निकट एक एसयूवी से विस्फोटक सामग्री बरामद होने के मामले में वाजे का नाम आया था. देशमुख ने कहा, ‘‘यह बहुत दुख की बात है कि सिर्फ वाजे के आरोपों के कारण, मुझे जेल में समय बिताना पड़ा. वह अब हत्या के दो मामलों में गिरफ्तार है. (सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी) परमबीर सिंह के आरोप भी झूठे निकले.’’ देशमुख को ईडी ने पहली बार दो नवंबर, 2021 को एक कथित धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था. यह 21 अप्रैल, 2021 को एक कथित भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट पर आधारित था. यह भी पढ़ें : Gujarat: गुजरात के तापी में करंट लगने से परिवार के 3 लोगों की मौत
पुणे में पत्रकारों से बातचीत में राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि एक साल से अधिक समय पहले देशमुख की गिरफ्तारी ‘‘सत्ता के दुरुपयोग’’ का उदाहरण है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं और संसद के कुछ वरिष्ठ सहकर्मी देशमुख की गिरफ्तारी का मुद्दा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाएंगे और अगर संभव हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष भी उठाएंगे...उन्होंने (देशमुख) काफी कुछ झेला है और भविष्य में दूसरों को ऐसी ही स्थिति का सामना न करना पड़े.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा है कि देशमुख के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. शुरुआत में आरोप 100 करोड़ रुपये को लेकर थे लेकिन आरोपपत्र में यह धनराशि घटाकर एक करोड़ रुपये कर दी गयी.’’ मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मार्च 2021 में आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई के रेस्तरां और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य दिया था.
देशमुख ने आरोपों से इनकार किया था, लेकिन वह राज्य के गृह मंत्री के पद से हट गए थे, क्योंकि बम्बई उच्च न्यायालय ने सीबीआई को उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया था. सीबीआई ने छह अप्रैल, 2022 को देशमुख को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था और 12 जुलाई को उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. उच्च न्यायालय ने चार अक्टूबर को राकांपा नेता को धनशोधन मामले में जमानत दे दी थी. न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक ने सीबीआई मामले में राकांपा नेता को 12 दिसंबर को जमानत दे दी थी, लेकिन सीबीआई ने इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के लिए समय मांगा था और अदालत ने आदेश पर 10 दिन के लिए रोक लगा दी थी. जांच एजेंसी ने न्यायालय का रुख किया, लेकिन उसकी अपील पर जनवरी 2023 में ही सुनवाई हो सकेगी, क्योंकि अदालत में शीतकालीन अवकाश है.
उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह सीबीआई के अनुरोध पर जमानत आदेश पर रोक को 27 दिसंबर तक बढ़ा दिया था. जांच एजेंसी ने मंगलवार को एक बार और रोक बढ़ाने का अनुरोध किया था. इस बीच, मुंबई पुलिस ने राकांपा की मुंबई युवा इकाई को देशमुख के समर्थन में दुपहिया वाहन रैली निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. एक अधिकारी ने बताया कि राकांपा की मुंबई युवा इकाई के अध्यक्ष ने पुलिस से आर्थर रोड जेल से सिद्धि विनायक मंदिर तक दुपहिया रैली निकालने की अनुमति मांगी थी. एन एम जोशी मार्ग पुलिस ने राकांपा पदाधिकारी निलेश भोसले को आपराधिक दंड प्रक्रिया (सीआरपीसी) की धारा 149 के तहत नोटिस जारी करते हुए कहा कि उनकी नियोजित रैली से कानून एवं व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है.