Uttarakhand: परिवार के लोगों को है सुरंग में फंसे अपनों के बारे में किसी अच्छी खबर का इंतजार
चमोली में राहत और बचाव कार्य जारी (Photo Credits-ANI Twitter)

तपोवन (उत्तराखंड), नौ फरवरी: एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगड पनबिजली परियोजना के तबाह हो गए बांध के पास छोटी बस्ती में कई परिवार को सुरंग के भीतर फंसे अपनों के बारे में खुशखबरी का इंतजार है. उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को हिमखंड टूटने की त्रासदी के बाद तपोवन की सुरंग में फंसे लोगों के रिश्तेदारों को उनके सकुशल निकलने का इंतजार है. परियोजना से जुड़ी सुरंग के भीतर फंसे 30-35 लोगों को निकालने के लिए अभियान में कई एजेंसियां जुटी हुई हैं.

कांचुला गांव के दीपक नगवाल के बहनोई सतेश्वर सिंह सुरंग के भीतर मेकैनिक का काम करते थे. हिमखंड के टूटने के समय सतेश्वर सुरंग के भीतर ही थे. आपदा के बाद से उनका कोई पता नहीं चल पाया है.

दीपक के बहनोई के बड़े भाई और अन्य परिजन तपोवन के पास अपने रिश्तेदार के बारे में किसी अच्छी खबर सुनने के इंतजार में रूके हैं. जब भी कोई सुरक्षाकर्मी सामने आता है तो वे उनकी खोज-खबर लेते हैं. हालांकि, अब तक उन्हें सतेश्वर के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है. चमोली के किमाना गांव के तीन लोग भी सुरंग में फंसे हैं. गांव के 40 से ज्यादा लोग तपोवन में उनकी राह देख रहे हैं.

किमाना गांव के दर्शन सिंह बिष्ट ने कहा कि उनके तीन रिश्तेदार-अरविंद सिंह, रामकिशन सिंह और रोहित सिंह सुरंग के भीतर फंसे हैं.

सुरंग के भीतर फंसे कुछ और लोगों के परिवारों को अपनों के बारे में किसी सूचना का इंतजार है.

सुरंग के द्वार के पास खड़े डाक गांव के विजय सिंह बिष्ट ने कहा कि वह अपने भाई डी एस बिष्ट के बारे में जानना चाहते हैं और समय बीतने के साथ उनकी बेचैनी बढ़ती जा रही है.

करचौन गांव के भवन सिंह फर्सवान (60) भी अपने गांव के एक व्यक्ति की तलाश में सुरंग के पास ही थे. उन्होंने कहा कि रैनी में परियोजना स्थल के तबाह होने के बाद से उनके परिवार के दो लोग लापता हैं.

दतुनू के अमर सिंह भी अपने गांव के कुछ लोगों की खैरियत के बारे में जानना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि आपदा के बाद से समूचा गांव सदमे में है. सिंह ने कहा, ‘‘मेरे गांव के कुल 25 लोग एनटीपीसी परियोजना स्थल पर काम करते थे. आपदा के दिन उनमें से छह लोगों की छुट्टी थी, लेकिन बाकी लोग सुरंग के भीतर फंस गए.’’

ऋषि गंगा परियोजना स्थल से 46 लोग लापता हुए. वहां भी लापता लोगों के परिजन अपनों के बारे में किसी अच्छी खबर का इंतजार कर रहे हैं. उत्तराखंड में हिमखंड टूटने के बाद हादसे में पांच और शव मिलने के साथ मृतकों की संख्या 31 हो गयी है जबकि 175 लोग अभी लापता हैं.

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