नयी दिल्ली, 4 अगस्त : उच्चतम न्यायालय आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की उन याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा जिनमें उन्होंने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में जमानत का अनुरोध किया है. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने 29 जुलाई को पीठ से कहा था कि सीबीआई ने सिसोदिया की याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन वह रिकॉर्ड में अभी उपलब्ध नहीं है.
राजू ने सिसोदिया की दलीलों पर प्रारंभिक आपत्तियां भी जताई थीं और कहा था कि यह दिल्ली उच्च न्यायालय के एक ही आदेश को चुनौती देने वाली दूसरी विशेष अनुमति याचिका है. विधि अधिकारी ने कहा था, ‘‘एक ही आदेश को दो बार चुनौती नहीं दी जा सकती है.’’ सिसोदिया ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं. उन्होंने दोनों मामलों में उनकी जमानत याचिकाएं खारिज करने के निचली अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
सीबीआई ने शराब नीति मामले में सिसोदिया की कथित भूमिका को लेकर उन्हें 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था. ईडी ने उन्हें नौ मार्च 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. सुनवाई के दौरान राजू ने शीर्ष अदालत के चार जून के आदेश का हवाला दिया था जिसमें सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया गया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि ईडी और सीबीआई द्वारा क्रमश: अंतिम अभियोजन शिकायत एवं आरोप पत्र दाखिल करने के बाद सिसोदिया जमानत के लिए अपनी याचिका फिर से दायर कर सकते हैं. अभियोजन शिकायत, प्रवर्तन निदेशालय के आरोप-पत्र के समतुल्य होती है. पिछले सप्ताह, सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने राजू की दलीलों को ‘‘चौंकाने वाला’’ करार दिया था. यह भी पढ़ें : Goregaon Murder Case: गोरेगांव पति-पत्नी की संदिग्ध मौत मामला, मुंबई पुलिस ने जांच में किया अहम खुलासा
इसके बाद विधि अधिकारी ने शीर्ष अदालत के 30 अक्टूबर 2023 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्हें दोनों मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने सिसोदिया को यह छूट दी थी कि अगर परिस्थितियों में कोई बदलाव होता है या मुकदमा लंबा खिंचता है तो वे राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. पीठ ने कहा था कि शीर्ष अदालत द्वारा 30 अक्टूबर के आदेश में निर्धारित अवधि समाप्त हो चुकी है और मामले की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर की जा सकती है. पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर होनी चाहिए. हमें दो चरण में सुनवाई क्यों करनी चाहिए, एक अंतरिम और एक अंतिम.’’ पीठ ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए पांच अगस्त की तारीख तय की है.