विदेश की खबरें | आहार प्रतिबंध या अच्छे जीन: अध्ययन में पता चला कि जीवनकाल पर किसका अधिक प्रभाव पड़ता है
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

लंदन, 20 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) बुढ़ापे पर शोध करने वाले अक्सर कहते हैं: अपनी आयु बढ़ाने के लिए सबसे अच्छी बात जो आप कर सकते हैं वह है अच्छे माता-पिता चुनना।

आखिरकार, यह लंबे समय से माना जाता रहा है कि ज्यादा समय तक जीने वाले लोगों के माता-पिता और दादा-दादी लंबे समय तक जीवित रहते हैं, जो यह दर्शाता है कि आनुवंशिकी दीर्घायु को प्रभावित करती है।

हालांकि, तस्वीर को जटिल बनाने वाली बात यह है कि हम जानते हैं कि आपकी जीवनशैली, खास तौर पर आहार और व्यायाम का योग भी बुढ़ापे में आपके स्वास्थ्य और आपके जीवन की अवधि को काफी हद तक प्रभावित करता है। जीवनशैली बनाम आनुवंशिकी क्या योगदान देती है, यह एक खुला प्रश्न है जिस पर ‘नेचर’ में हाल में प्रकाशित एक अध्ययन ने नयी रोशनी डाली है।

वैज्ञानिकों को लंबे समय से पता है कि कैलोरी का सेवन कम करने से जानवर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। 1930 के दशक में, यह देखा गया कि कम कैलोरी वाले चूहे उन चूहों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहे जो जितना चाहें उतना खा सकते थे। इसी तरह, जो लोग शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय होते हैं वे अधिक समय तक जीवित रहते हैं। लेकिन विशेष रूप से एकल जीन को दीर्घायु से जोड़ना हाल तक विवादास्पद था।

सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में छोटे कृमि सी एलिगेंस के जीवनकाल का अध्ययन करते समय, सिंथिया केन्यन ने पाया कि कोशिकाओं द्वारा अपने आस-पास के पोषक तत्वों को पहचानने और उन पर प्रतिक्रिया करने के तरीके को नियंत्रित करने वाले जीन में छोटे-छोटे बदलावों के कारण कृमियों का जीवनकाल दोगुना हो गया। इससे नए सवाल उठते हैं: अगर हम जानते हैं कि आनुवंशिकी और जीवनशैली आपके जीवन की अवधि को प्रभावित करती है, तो कौन-सा अधिक महत्वपूर्ण है? और वे कैसे परस्पर क्रिया करते हैं?

आनुवंशिकी बनाम जीवनशैली के प्रभावों को समझने के लिए ‘नेचर’ में प्रकाशित नए अध्ययन में 960 चूहों में कैलोरी प्रतिबंध के विभिन्न मॉडल की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से कैलोरी प्रतिबंध (नियंत्रण चूहों की तुलना में 20 प्रतिशत या 40 प्रतिशत कम कैलोरी) या भोजन के बिना एक या दो दिन का आंतरायिक उपवास (क्योंकि आंतरायिक उपवास उन लोगों में लोकप्रिय है जो कैलोरी प्रतिबंध के सकारात्मक लाभ देखना चाहते हैं) के शास्त्रीय प्रयोगात्मक मॉडल को देखा।

चूंकि अब हम जानते हैं कि छोटी आनुवंशिक भिन्नताएं उम्र बढ़ने को प्रभावित करती हैं, इसलिए शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से आनुवंशिक रूप से विविध चूहों का उपयोग किया। यह दो कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, चूंकि चूहों पर प्रयोगशाला अध्ययन आम तौर पर आनुवंशिक रूप से बहुत समान चूहों पर किए जाते हैं, इससे शोधकर्ताओं को आहार और आनुवंशिक चर दोनों के दीर्घायु पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने में मदद मिली।

दूसरा, मनुष्य अत्यधिक विविधतापूर्ण हैं, जिसका अर्थ है कि आनुवंशिक रूप से लगभग समान चूहों पर किए गए अध्ययन अक्सर मानवता की उच्च आनुवंशिक विविधता में तब्दील नहीं होते हैं।

मुख्य निष्कर्ष यह था कि आनुवंशिकी किसी भी आहार प्रतिबंध हस्तक्षेप की तुलना में जीवनकाल में बड़ी भूमिका निभाती है। आहार परिवर्तनों के बावजूद लंबे समय तक जीवित रहने वाले चूहे अभी भी लंबे समय तक जीवित रहे।

आहार मायने रखता है, लेकिन जीन ज़्यादा मायने रखते हैं और जबकि कम उम्र वाले चूहों ने आहार प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप सुधार दिखाया, वे अपने लंबे समय तक जीने वाले साथियों की बराबरी नहीं कर पाए। इससे पता चलता है कि ‘‘अच्छे माता-पिता चुनें।’’ यह मजाक लेकिन सच्चाई है।

कैलोरी प्रतिबंध मॉडल ने सभी प्रकार के चूहों के जीवनकाल में वृद्धि की, जिसमें 40 प्रतिशत प्रतिबंध समूह में 20 प्रतिशत समूह की तुलना में औसत और अधिकतम जीवनकाल में सुधार हुआ।

साथ ही 20 प्रतिशत समूह ने नियंत्रण समूह की तुलना में जीवन की औसत और अधिकतम दोनों में सुधार दिखाया। आनुवंशिकी के प्रभाव आहार हस्तक्षेप के प्रभाव से बड़े थे।

सभी कैलोरी प्रतिबंध मॉडल के परिणामस्वरूप चूहों में औसतन जीवनकाल में वृद्धि हुई, सबसे चरम कैलोरी प्रतिबंध मॉडल (40 प्रतिशत कम समूह) में परीक्षण किए गए परिवर्तन जो शारीरिक नुकसान के रूप में देखे जा सकते थे, देखे गए।

हम अपने माता-पिता को नहीं चुन सकते हैं या उनसे विरासत में मिले जीन को नहीं बदल सकते हैं, लेकिन यह जानना दिलचस्प है कि विशिष्ट आनुवंशिक भिन्नताएं उस अधिकतम आयु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जिसकी हम आकांक्षा कर सकते हैं।

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