नयी दिल्ली, 11 मई : दिल्ली (Delhi) की एक अदालत ने फरवरी 2020 में यहां हुए दंगों के पीछे बड़ी साजिश होने से जुड़े एक प्रकरण में छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा की याचिका पर बुधवार को पुलिस से जवाब देने को कहा. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने इस मामले में फातिमा की ज़मानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी किया. पीठ ने मामले की सुनवाई को 14 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया और कहा, ''हमें आप (फातिमा) पर लगाए गए आरोपों पर गौर करना होगा.''
कार्यकर्ता की ओर से पेश वकील ने यह कहते हुए ज़मानत का अनुरोध किया कि फातिमा पिछले दो साल से अधिक समय से कैद में हैं. फातिमा ने निचली अदालत के 16 मार्च के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. फातिमा के अलावा निचली अदालत ने एक अन्य सह आरोपी तसलीम अहमद की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी.
फातिमा और अहमद तथा कई अन्य लोगों के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून-गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन पर उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाकों में फरवरी 2020 में भड़के दंगों का मुख्य षडयंत्रकारी होने का आरोप है. यह भी पढ़ें : चारधाम यात्रा: प्रतिदिन दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों की निर्धारित संख्या में बढ़ोतरी
इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हो गये थे. निचली अदालत ने इस मामले में 14 मार्च को कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को जमानत प्रदान कर दी थी. जमानत आदेश में, अदालत ने उल्लेख किया था कि आरोप पत्र में विभिन्न समूहों और व्यक्तियों द्वारा एक ‘‘पूर्व नियोजित साजिश’’ का आरोप लगाया गया है, जिन्होंने हिंसा भड़काने के लिए ‘‘चक्का-जाम और पूर्व-नियोजित विरोध प्रदर्शनों’’ के माध्यम से व्यवधान पैदा किया.