नयी दिल्ली, 23 नवंबर दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2017 में एक व्यक्ति और उसकी दो नाबालिग बेटियों पर तेजाब फेंकने के मामले में आरोपी को दोषी करार देते हुए कहा कि तेजाब से किया गया हमला जीवन भर के लिए जख्म दे जाता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अदिति गर्ग आरोपी राघव मुखिया के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थीं, जिसके खिलाफ ख्याला पुलिस थाने ने 18 फरवरी, 2017 को पीड़ितों पर तेजाब से हमला करने का मामला दर्ज किया था।
अदालत ने चिकित्सा-कानूनी मामले (एमएलसी) पर गौर किया, जिसके अनुसार 11 वर्षीय लड़कियों में से एक लगभग 40 प्रतिशत 'गंभीर' रूप से झुलस गई थी, जबकि 14 वर्षीय लड़की 20 प्रतिशत झुलस गई थी और उनके पिता 10 प्रतिशत झुलस गए थे।
अदालत ने कहा कि पीड़ितों की गवाही अन्य अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों से पुष्टि होती है कि आरोपी ने उन पर तेजाब फेंका था।
अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को 'खोखला' करार दिया कि मुखिया 'निर्दोष आदिवासी' है उसे कुछ लोगों द्वारा हमला करने के बाद झूठा फंसाया गया।
अदालत ने इस तर्क को भी 'अस्वीकार्य' करार दिया कि पुलिस को मामले की सूचना देने में देरी हुई।
अदालत ने आठ नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘जिंदगी भर के लिए निशान। तेजाब हमले का भयावह और अमानवीय कृत्य तेजी से बढ़ा है। यह दुनिया भर में धर्म, लिंग और जाति से परे है। तेजाब हमले केवल महिलाओं के खिलाफ ही नहीं बल्कि नाबालिग बच्चों के खिलाफ भी होते हैं और यह बदला लेने या तीव्र दुश्मनी के कारण हो सकता है। ’’
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने अपना मामला सफलतापूर्वक साबित कर दिया है और यह बिना किसी संदेह के स्थापित हो गया है कि मुखिया ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 326 ए (एसिड अटैक) के तहत अपराध किया है।
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