बेंगलुरु, 11 दिसंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने प्रसिद्ध मलयालम फिल्म निर्देशक रंजीत के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न मामले में आगे की जांच पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि आरोप मनगढ़ंत प्रतीत होते हैं।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि 2012 में बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास ताज होटल में रंजीत ने उसका यौन उत्पीड़न किया था। हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि होटल ने 2016 में ही परिचालन शुरू किया था, जिससे आरोप तथ्यात्मक रूप से अपुष्ट हैं।
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कहा, ‘‘शिकायत, पहली नजर में झूठी है। बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास ताज होटल ने 2016 में परिचालन शुरू किया, जो कथित घटना के चार साल बाद है। यह जानकारी सार्वजनिक है इसलिए शिकायतकर्ता द्वारा प्रदान किया गया विस्तृत विवरण स्पष्टतः झूठा है और जानबूझकर झूठ बोलने के बराबर है।’’
इसके अतिरिक्त, अदालत ने शिकायत दर्ज करने में हुई अस्पष्ट देरी का उल्लेख किया, जिसे कथित घटना के पूरे 12 साल बाद 2024 में दर्ज कराया गया था। न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘‘12 साल की देरी पूरी तरह से अस्पष्ट है।’’
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66ई के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
शिकायतकर्ता ने खुद की पहचान एक अभिनेता बनने के आकांक्षी के तौर पर उल्लेखित की थी। शिकायतकर्ता व्यक्ति ने आरोप लगाया कि रंजीत ने उसे एक होटल के कमरे में बुलाया और उसका यौन उत्पीड़न किया।
रंजीत की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी और अधिवक्ता जोसेफ एंथनी ने आगे की जांच पर रोक लगाने के लिए दलील दी।
मामले की फिर से सुनवाई 17 जनवरी को तय है।
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