
नयी दिल्ली, 16 दिसम्बर उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र से बुधवार को उस याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा, जिसमें वैवाहिक विवादों में रखरखाव और गुजारा भत्ता ‘‘लैंगिक और धर्म’’ के आधार पर भेदभाव किए बिना देने का अनुरोध किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे के नेतृत्व वाली एक पीठ ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई याचिका पर जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी. रामा सुब्रमण्यन भी इस पीठ में शामिल थे।
पीठ ने उपाध्याय की ओर से पेश हुई वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा की दलील सुनी और कहा, ‘‘ हम पूरी सर्तकता के साथ नोटिस जारी कर रहे हैं।’’
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याचिका में रखरखाव और गुजारा भत्ता देने से जुड़ी प्रचलित विसंगतियों को दूर करने और उसे धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव के बिना सभी नागरिकों के लिए एक समान बनाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
याचिका में कहा गया कि संविधान में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद भी, केन्द्र सरकार सभी नागरिकों को लैंगिक, धार्मिक भेदभाव के बिना गुजारा भत्ता देने में विफल रही है।
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