नयी दिल्ली, 30 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने उन मामलों में विभिन्न पहलुओं के बीच संतुलन बनाने की जरूरत को रेखांकित किया, जिनमें केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों की जांच राज्य पुलिस कर रही है।
शीर्ष अदालत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें एजेंसी ने अपने अधिकारी अंकित तिवारी के खिलाफ एक मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का अनुरोध किया था।
तिवारी को कथित तौर पर रिश्वत लेने को लेकर तमिलनाडु सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि संघीय ढांचे में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रत्येक घटक अपनी पहचान और अधिकार क्षेत्र बनाए रखे।
पीठ ने एक काल्पनिक स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर कोई राज्य मनमाने ढंग से केंद्र सरकार के अधिकारियों को गिरफ्तार करने का फैसला करता है तो ‘‘इससे संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है।’’
पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में अगर यह कहा जाए कि राज्य के पास गिरफ्तारी का विशेष अधिकार होगा, तो यह संघीय ढांचे के लिए खतरनाक हो सकता है।
पीठ ने हालांकि, यह भी कहा कि राज्य पुलिस को उसके अधिकार क्षेत्र में मामले की जांच करने का अधिकार न देना भी सही नहीं होगा।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इन पहलुओं के बीच संतुलन बनाने के लिए दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करेंगे।”
अदालत ने कहा कि आरोपी को जांच में अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है लेकिन उसे निष्पक्ष जांच का अधिकार है।
तमिलनाडु की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को बताया कि तिवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था और मामले की जांच लगभग पूरी हो चुकी है।
उन्होंने दलील दी कि पुलिस ने अभी तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है क्योंकि शीर्ष अदालत ईडी की याचिका पर विचार कर रही है।
पीठ ने मामले की सुनवाई जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी।
शीर्ष अदालत ने 20 मार्च को तिवारी को अंतरिम जमानत दी थी।
मदुरै में ईडी के उप-क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ अधिकारी तिवारी को एक दिसंबर 2023 को तमिलनाडु सरकार के एक अधिकारी से 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था।
ईडी ने तिवारी की गिरफ्तारी के बाद तमिलनाडु पुलिस प्रमुख के समक्ष शिकायत दायर की थी, जिसमें राज्य सतर्कता अधिकारियों पर मदुरै में केंद्रीय एजेंसी के क्षेत्रीय कार्यालय में जबरन घुसने और मामले के रिकॉर्ड चुराने का आरोप लगाया गया था।
शीर्ष अदालत ने तिवारी के खिलाफ मामले को सीबीआई को सौंपने की ईडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा था।
ईडी ने शीर्ष अदालत से कहा था कि वह मामले में निष्पक्ष और उचित जांच चाहती है।
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