देश की खबरें | अदालत ने जेल विभाग से तिहाड़ की केंद्रीय जेल-6 के कैदियों के लिए टीकाकरण नीति के बारे में पूछा

नयी दिल्ली, चार मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के जेल विभाग से पूछा है कि क्या उसके पास तिहाड़ की केंद्रीय जेल-6 में सभी कैदियों को टीका लगाने को लेकर कोई नीति है क्योंकि ‘‘जेल के उस बंद परिसर में कोविड-19 संक्रमण फैलने की प्रबल आशंका है।’’

अदालत ने जेल विभाग से संक्रमित पाये गये कैदियों के लिए ऑनलाइन और भौतिक मुलाकात, टेली कॉलिंग सुविधाएं, जेल के कंप्यूटर केंद्र के क्रियाशील करने, वहां के कानूनी सहायता कक्ष के कंप्यूटरों को चालू करने के मुद्दों पर जेल विभाग से उपरोक्त एवं अन्य कई सवाल किये।

न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह ने जेएनयू की दो छात्राओं -- नताशा नरवाल और देवांगना कलिता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जेल विभाग से ये सवाल पूछे। ये दोनों ‘पिंजड़ा तोड़’ कार्यकर्ता हैं और उन्होंने विभिन्न सुविधाओं की मांग की जिनमें शारीरिक मुलाकात, वीडियो कांफ्रेंस के लिए कंप्यूटर सेंटर और कानूनी सहायता आदि शामिल हैं।

‘पिंजड़ा तोड़’ संगठन छात्रावासों एवं किराये के अन्य मकानों को छात्राओं के लिए कम पाबंदकारी बनाने के लिए 2015 में स्थापित किया गया था।

नरवाल और कलिता को उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे के सिलसिले में पिछले साल मई में गिरफ्तार किया था और वे फिलहाल तिहाड़ की केंद्रीय जेल -6 में हैं।

कैदियों के टीकाकरण के मुद्दे पर जेल विभाग ने अदालत से कहा कि फिलहाल तिहाड़ जेल में 45 साल से अधिक उम्र के बस 12 कैदी हैं और उन्हें टीका लगा दिया गया है।

इस पर अदालत ने कहा कि जेल विभाग के वकील से ‘ उस टीकाकरण नीति पर निर्देश प्राप्त करने को कहा जिसे केंद्रीय जेल-6 के कैदियों को टीका लगाने को लेकर प्रस्तावित किया जा रहा है’’ क्योंकि ‘‘जेल के उस बंद परिसर में कोविड-19 संक्रमण फैलने की प्रबल आशंका है।’’

कैदियों की अपने वकीलों एवं परिवारों के डिजिटल एवं भौतिक मुलाकात के संबंध में विभाग ने कहा कि भौतिक मुलाकात महामारी के मद्देनजर स्थगित कर दी गयी है जबकि डिजिटल मुलाकात तीन मई से बाहल कर दी गयी।

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