विदेश की खबरें | डब्ल्यूएचओ के दावों के उलट चीन ने कोरोना वायरस की जानकारी दुनिया को देर से दी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. चीन ने संक्रमण के जांच के लिए तैयार किट, दवा या टीका के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी।

चीन ने संक्रमण के जांच के लिए तैयार किट, दवा या टीका के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी।

एसोसिएटेड प्रेस को मिले आंतरिक दस्तावेज, ईमेल और दर्जनों साक्षात्कार से पता चलता है कि सूचनाओं पर सख्त नियंत्रण और चीन के जन स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर ही प्रतिस्पर्धा की वजह से यह हुआ।

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संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी डब्ल्यएचओ की जनवरी में हुई कई आंतरिक बैठकों के मुताबिक चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने नये वायरस के जीनोम की जानकारी 11 जनवरी को विषाणुरोग एजेंसी की वेबसाइट पर संबंधित सूचना सार्वजनिक किए जाने के बाद दी। इसके बाद भी चीन ने दो हफ्ते से अधिक समय तक डब्ल्यूएचओं को जरूरी जानकारी नहीं दी।

हालांकि, सार्वजनिक रूप से डब्ल्यूएचओ चीन की प्रशंसा करता रहा। एपी को मिले दस्तावेजों के मुताबिक डब्ल्यूएचओ इस बात को लेकर चिंतित था कि वायरस से दुनिया को खतरे का आकलन करने के लिए चीन पर्याप्त सूचना मुहैया नहीं करा रहा है और इससे कीमती समय बर्बाद हो रहा है।

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एक बैठक में चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी को उद्धृत करते हुए चीन में डब्ल्यूएचओ के शीर्ष अधिकारी डॉ. गौडेन गालिया ने कहा, ‘‘हम इस स्थिति में हैं कि वे सीसीटीवी पर सूचना प्रसारित होने से महज 15 मिनट पहले वह जानकारी दे रहे हैं।’’

महामारी की शुरुआत में हुई घटनाओं की जानकारी ऐसे समय आई है जब डब्ल्यूएचओ सवालों के घेरे में था।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्र्रम्प ने गत शुक्रवार को डब्ल्यूएचओ से संबंध खत्म करने की घोषणा की। इससे पहले उन्होंने आरोप लगाया था कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की चीन से मिलीभगत है और महामारी की तीव्रता से जुड़े तथ्यों को छिपा रही है।

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि चीन हमेशा समय पर डब्ल्यूएचओ को आंकड़े मुहैया कर रहा है लेकिन सामने आई नयी सूचना न तो चीन के दावे को और न ही अमेरिका के दावे को पुख्ता करती है। इससे साबित है कि डब्ल्यूएचओ दोनों के बीच घिरा है और अधिक आंकड़े चाहता है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत देश उन आंकड़ों को मुहैया कराने के लिए बाध्य हैं जिससे जन स्वास्थ्य पर असर पड़ता है पर इसे लागू कराने का अधिकार डब्ल्यूएचओ के पास नहीं है। संगठन सदस्य देशों के सहयोग पर निर्भर है।

एपी को मिली जानकारी के मुताबिक चीन से मिलीभगत के बजाय डब्ल्यूएचओ ने खुद को अधिकाधिक अंधेरे में रखा क्योंकि चीन ने न्यूनतम जानकारी दी। इसके बावजूद डब्ल्यूएचओ ने चीन की छवि सुधारने की कोशिश की जबकि अधिक सूचना होने पर संकट को जल्द समाप्त करने में मदद मिलती।

डब्ल्यूएचओ के अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित थे कैसे प्रशासन को नाराज किए बिना और वैज्ञानिकों पर दबाव बनाए बिना चीन पर अधिक सूचना के लिए दबाव बनाया जाए। इसलिए उन्होंने कम समय में वायरस का जीनोम पता लगाने पर चीन की प्रशंसा की।

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