बैंकॉक, 24 नवंबर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के साथ प्रयोगों के बाद लड़खड़ा रही दुनिया को प्रसन्नता और संतोष का मार्ग भारत दिखाएगा. थाइलैंड की राजधानी में तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भागवत ने दुनियाभर के हिंदुओं से अपील की कि वे एक दूसरे से जुड़ें और मिलकर दुनिया से कड़ी जोड़ें उन्होंने दुनियाभर से आए विचारकों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें हर हिंदू तक पहुंचना होगा, संपर्क साधना होगा. सभी हिंदू मिलकर दुनिया में सभी से संपर्क साधेंगे. हिंदू अधिक से अधिक संख्या में जुड़ रहे हैं और दुनिया के साथ जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.’’
भागवत ने कहा कि दुनिया, खासतौर पर कोविड महामारी के बाद यह मान चुकी है और आम-सहमति से यह बात सोच रही है कि भारत प्रसन्नता और संतोष का मार्ग दिखाएगा. उन्होंने कहा कि दुनिया इस समय भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के साथ प्रयोग करते हुए लड़खड़ा रही है और प्रसन्नता की तलाश में वह हिंदुत्व की ओर देख रही है. संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘आज का विश्व लड़खड़ा रहा है. 2,000 साल से उन्होंने खुशी, आनंद और शांति लाने के लिए अनेक प्रयोग किए हैं. उन्होंने भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के प्रयोग किए हैं. उन्होंने अनेक धर्मों से जुड़े प्रयोग किए हैं. उन्हें भौतिक समृद्धि मिल गई है, लेकिन संतोष नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोविड महामारी के बाद उन्होंने पुनर्विचार करना शुरू किया. अब ऐसा लगता है कि वे यह सोचने में एकमत हैं कि भारत रास्ता दिखाएगा.’’ भागवत ने कहा, ‘‘हमें सभी के पास जाकर संपर्क करना होगा, उनसे जुड़ना होगा और अपनी सेवाओं से उन्हें अपनी ओर लाना होगा. हमारे पास उमंग है. हम निस्वार्थ सेवा के मामले में दुनिया में अग्रणी हैं. यह हमारी परंपराओं और मूल्यों में है. इसलिए लोगों तक पहुंचिए और दिल जीतिए.’’ यह भी पढ़ें : आम लोगों की समस्याओं का तुरंत समाधान करें: राष्ट्रपति मुर्मू ने लोकसेवकों से कहा
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों को दुनियाभर में हिंदुओं के समक्ष आ रहीं चुनौतियों पर विचार-विमर्श का अवसर मिलेगा. भागवत ने कहा कि हिंदुओं को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना का प्रसार करने में अहम भूमिका निभानी होगी. उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें साथ आना होगा, साथ रहना होगा और साथ में काम करना होगा.’’ भागवत ने कहा, ‘‘सभी को दुनिया के लिए कुछ योगदान देना होगा. हमने अपनी विशेषता पहचान ली है. हमारे अंदर सभी के प्रति सम्मान है. हमारे पूर्वजों ने इसे पहचाना था लेकिन हम इस कौशल को भूल गए और टुकड़ों में बांट दिए गए और अधीन हो गए. अब हमें एक साथ आना होगा.’’ उन्होंने कहा कि आक्रोश, घृणा, घृणा भरे भाषण, द्वेष और अहंकार लोगों को साथ में आने से रोकते हैं और समाज या संगठन को तोड़ देते हैं. वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने शंख बजाकर सम्मेलन की शुरुआत की. इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.