पुणे, एक दिसंबर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ‘वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीपीपैट) पर्चियों की शत-प्रतिशत गिनती किये जाने की रविवार को वकालत की।
चव्हाण ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग के पास छिपाने के लिए कुछ है, हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया।
‘वीवीपैट’ वोट सत्यापन प्रणाली है, जिसके जरिये मतदाता यह देख पाते हैं कि उनका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, (ईवीएम पर) जिसके नाम के आगे का बटन उन्होंने दबाया था। मतदाता के बटन दबाने के बाद कुछ क्षणों के लिए एक पर्ची दिखाई देती है।
बीस नवंबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चव्हाण कराड दक्षिण सीट से भाजपा के अतुल सुरेश भोसले से 39,355 मतों के अंतर से हार गए थे। चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए गए थे।
चव्हाण, 90 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आढाव से मिलने के लिए शहर में आए थे, जिन्होंने ईवीएम में अनियमितताओं और राजनीति में कथित धनबल के इस्तेमाल के खिलाफ अपना धरना शनिवार को समाप्त कर दिया।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मैं यहां बाबा आढाव को समर्थन देने आया हूं। विधानसभा चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित हैं। छह महीने पहले, हमें लोकसभा चुनाव में सफलता मिली थी (महा विकास आघाडी ने 48 में से 30 सीट जीती थी)। ऐसा कुछ नहीं था जिसके कारण विधानसभा चुनाव में नतीजे इतने अलग हों। हमें (एमवीए को) राज्य में बदलाव की उम्मीद थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई लोगों ने मांग की है कि चुनाव मत पत्र से कराया जाए। मेरी मांग है कि हर वीवीपैट पर्ची की गिनती की जाए। हमने महाराष्ट्र चुनाव के बाद इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग के साथ मुलाकात का कार्यक्रम निर्धारित किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि आयोग इस मुद्दे पर हमसे क्या चर्चा करेगा, लेकिन मैं हर पर्ची की गिनती की मांग करूंगा। मुझे लगता है कि आयोग कुछ छिपाना चाहता है।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘अगर लोकतंत्र को बचाना है, तो बदलाव की सख्त जरूरत है। मैं बाबा आढाव को उनके विरोध प्रदर्शन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।’’
आढाव ने बृहस्पतिवार को पुणे के फुले वाडा में अपना धरना शुरू किया था, जो समाज सुधारक ज्योतिबा फुले का निवास स्थान है।
इस वर्ष अप्रैल में, उच्चतम न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से डाले गए मतों का वीवीपैट के साथ पूरी तरह से मिलान करने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
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