रायपुर, 28 दिसंबर : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले से जुड़ी धनशोधन जांच के तहत शनिवार को राज्य के कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे और कुछ अन्य के परिसरों पर छापेमारी की. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत कुल सात परिसरों की तलाशी ली जा रही है. इनमें रायपुर स्थित लखमा का आवास और सुकमा जिले में उनके बेटे हरीश लखमा के परिसर के अलावा कुछ संबंधित व्यक्तियों के परिसर भी शामिल हैं.
कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने आरोप लगाया कि ये छापे शहरी निकाय और पंचायत चुनावों से पहले विपक्षी पार्टी के नेताओं को परेशान करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की साजिश का हिस्सा हैं. कवासी लखमा (71) कोंटा विधानसभा सीट से छह बार के विधायक हैं और पिछली कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके हैं. हरीश लखमा सुकमा जिले में पंचायत अध्यक्ष हैं. ईडी सूत्रों ने कहा कि वे कुछ ‘‘प्रमुख आरोपियों’’ द्वारा लगाए गए इन आरोपों की जांच कर रहे हैं कि लखमा को 2020-2022 के बीच प्रति माह लगभग दो करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जब उनके पास आबकारी विभाग था. यह भी पढ़ें : पेरिया दोहरा हत्याकांड मामला: अदालत ने माकपा के पू्र्व विधायक सहित 14 लोगों को दोषी पाया
एजेंसी के अनुसार, कथित शराब घोटाला 2019-22 के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तहत किया गया था. एजेंसी ने पूर्व में दावा किया था, ‘‘छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों को 2,100 करोड़ रुपये का फायदा हुआ.’’ प्रदेश कांग्रेस की संचार इकाई के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने ‘पीटीआई-’ से बातचीत में आरोप लगाया कि राज्य में आगामी शहरी निकाय और पंचायत चुनाव के चलते केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस नेताओं को परेशान करने की भाजपा की साजिश है.